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चाईबासा: किरीबुरु-मेघाहातुबुरु का तापमान 40 डिग्री पहुंचा

SHAILESH SINGH Kiriburu (Chaibasa): एशिया का सबसे बडा साल का जंगल सारंडा की सबसे ऊंची चोटी पर बसा किरीबुरु-मेघाहातुबुरु शहर में पहली बार तापमान 40 डिग्री तक पहुंच गया है. इस भीषण गर्मी की वजह से आम जनता के साथ-साथ वन्यप्राणी व पालतू जानवर तक परेशान व त्रस्त हैं. लोगों को समझ में नहीं आ रहा है कि अब वह जायें तो कहां जाये. क्योंकि किरीबुरु में अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा फिर भी गर्मी काफी कम पड़ती रही है. अब ऐसा नहीं है.

खुद को खतरे में पा रहे हैं लोग

लगातार बढ़ते तापमान एवं घटते जलस्तर से लौहांचल एवं सारंडा के गांवों में रहने वाले लोग खुद को खतरे में पा हैं. इसके लिए खादान प्रबंधनों, सरकार एवं वन विभाग की गलत नितियों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. सारंडा वासी अचरज से कहते हैं- "इतनी गर्मी पहले कभी नहीं देखी."

चेक डैम व तालाब बनाने की मांग

सारंडा के लोग कारो एवं कोयना नदी का पानी का उपयोग पेयजल व कृषि के रुप में करते हैं. सैकड़ों गांवों के लोग इन्हीं नदियों पर आश्रित हैं. कारो एवं कोयना नदी मनोहरपुर क्षेत्र में आपस में मिलती है. अब दोनों नदी का पानी सुखने लगा है. एक बड़ी आबादी के सामने पानी का समस्या है. अगर यही स्थिति रही तो लोग पलायन करने लगेंगे. पानी नहीं रहेगा तो खादान व फैक्ट्रियों के बंद होने से भी कोई नहीं बचा सकता है. लोगों की मांग है कि सारंडा में तमाम खादानों के चारों तरफ व अन्य क्षेत्रों में लार्ज व मास स्केल पर कुछ-कुछ दूरी पर सिरीज में स्थायी चेकडैम तमाम बनाया जाये. प्राकृतिक जल श्रोतों, नदी, नालों पर बनाने के साथ समतल क्षेत्र व गांवों में चेकडैम, कुआं व तालाब का निर्माण कराना किया जाये. अन्यथा सारंडा की स्थिति भयावह होगी. सारंडा में वर्षा का पानी के ठहराव की कोई सुविधा नहीं है. नदी-नाला में लौह चूर्ण व मिट्टी भरने से वर्षा का पानी पहाड़ों से सीधे निचे उतर सीधे बहकर बाहर चला जा रहा है. जिससे ग्राउण्ड वाटर रिचार्ज नहीं हो पा रहा है. सारंडा के तमाम प्राकृतिक जल श्रोतों पर 6-7 फीट की सिरिज चेकडैम बनाना होगा एंव चेकडैमों की नियमित साफ सफाई व मेन्टेनेंस करना होगा. तभी स्थिति में सुधार संभव है.

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