Chaibasa/Siringsia : आदिवासी हो समाज महासभा के पूर्व केन्द्रीय महासचिव मुकेश बिरूवा के नेतृत्व में आदिवासी हो समाज युवा महासभा के पदाधिकारियों ने सिरिंगसिया घाटी के शहीदों को रविवार को श्रद्धांजलि दी. महासभा के पदाधिकारियों ने बताया कि वेस्ट फ्रंटियर एजेंसी का पॉलिटिकल एजेंट विलकिंग्सन को बनाया गया और कोल्हान को अपने अधीन करने की जिम्मेदारी उसे दी गई तो पोटो हो और उनके सहयोगियों ने इसका विरोध किया. वे लोग युद्ध की रणनीति बनाने के लिए 21 से ज्यादा गांव के लोगों को इकट्ठा कर बलांडिया, पोकाम, राजाबासा, जगन्नाथपुर आदि जगहों पर बैठकें कीं. अंग्रेजों को इनकी रणनीति के बारे में जानकारी हुई तो कैप्टन आर्म स्ट्रांग को 400 पैदल सेना, सात घुड़सवार और सरायकेला से 200 से ज्यादा सहायक के साथ पोटो हो के अभियान को नियंत्रित करने के लिए भेजा. 19 नवंबर 1837 को सुबह सिरिंगसिया गांव में अंग्रेजों की सेना ने मोर्चा संभाल लिया. फिर जैसे ही वे लोग सिरिंगसिया घाटी में प्रवेश किए, ‘हो’ लड़ाकों ने तीर-धनुष और विशेष तरह का तीर चलाने वाला यंत्र, विशेष तरह का गुलेल आदि का इस्तेमाल करके अंग्रेजी सेना को पीछे भागने के लिए मजबूर कर दिया.
‘हो’ योद्धाओं ने गुरिल्ला पद्धति से की लड़ाई
इस गुरिल्ला युद्ध में ‘हो’ योद्धाओं ने प्रकृति का सहारा बखूबी लिया. योद्धाओं ने मधुमक्खी के छत्ते को भी अंग्रेजी सेना के खिलाफ इस्तेमाल किया. अंततः विलकिंग्सन की सेना जो कैप्टन आर्मस्ट्रांग और टिकेल के नेतृत्व में सिरिंगसिया घाटी को फतह करने गई थी, बैरंग लौट गई. अपनी हार से बौखलाए अंग्रेजों ने पोटो हो एवं दो हजार सहयोगियों को पकड़ने के लिए विशेष स्काउट (हो समाज के दलाल) लगाए. 8 दिसंबर 1837 को उन स्काउट ने पोटो हो पता लगा लिया और उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया. विलकिंग्सन 18 दिसंबर की शाम जगन्नाथपुर में टिकेल के शिविर में पहुंचे.
विलकिंग्सन हाथी से गिर गए फिर भी कोर्ट की सुनवाई की
विलकिंग्सन हाथी से गिर गए थे, फिर भी कोर्ट की सुनवाई उस स्थिति में भी उन्होंने 25 दिसंबर से शुरू की और 1 सप्ताह में 31 दिसंबर तक खुद ही जज बनकर पांच ‘हो’ लड़ाकों को मौत की सजा और 79 ‘हो’ लोगों को कारावास की विभिन्न सजाएं दी गईं. 1 जनवरी 1838 को पोटो हो, नारा हो और बड़ाय को जगन्नाथपुर में और 2 जनवरी को बोराह हो और पांडुवा हो को सिरिंगसिया में सार्वजनिक रूप से फांसी दे दी गई. मालूम हो कि विलकिंग्सन को इस घटनाक्रम के लिए लंदन में बोर्ड द्वारा चेतावनी दी गई कि कमांडर के तौर पर अपने ही बनाए गए कैदियों का न्यायाधीश वह कैसे बन गए.
दो जनवरी को शहीद दिवस मनाने का किया अनुरोध
तमाम विचारों और वास्तविकताओं के साथ महासभा और युवा महासभा के पदाधिकारियों ने श्रद्धांजलि अर्पित की. वास्तविक तिथि 2 जनवरी को शहीद दिवस मनाने का शहीद स्मारक समिति से अनुरोध किया. मौके पर महासभा के पूर्व केन्द्रीय महासचिव मुकेश बिरूवा, युवा महासभा केन्द्रीय उपाध्यक्ष इपिल सामड, महासचिव गब्बरसिंह हेम्ब्रम, संगठन सचिव सुशील सवैंया, पूर्व जिला उपाध्यक्ष गोबिन्द बिरूवा, मझगांव के पूर्व प्रखंड अध्यक्ष सिकन्दर हेम्ब्रम, बबलू बिरूवा, तुलसी बारी, कमला सिंकू, प्रमिला बिरूवा, ओएबन हेम्ब्रम, कमलेश बिरूवा,जामदार हेम्ब्रम, सत्येन्द्र लागुरी, विरेन्द्र अंगरिया, सिकंदर तिरिया, नरेश पिंगुवा, मार्शल पिंगुवा, योगेश्वर पिंगुवा, सुरेश पिंगुवा, सावित्री बारी सहित शहीद स्मारक कमेटी के पदाधिकारी मौजूद थे.