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LagatarDesk : लोक आस्था का महापर्व चैती छठ उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हुआ. व्रतियों ने सुबह 05 बजकर 28 मिनट पर भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया और धन, धान्य और आरोग्य की कामना की. अर्घ्य देने के बाद व्रतियों ने पारण कर निर्जला उपवास को पूरा किया.
उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के पीछे मान्यता
छठ पूजा का अंतिम दिन चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य भगवान का व्रत आरोग्य की प्राप्ति, सौभाग्य और संतान के लिए रखा जाता है. स्कंद पुराण के अनुसार, राजा प्रियव्रत ने भी छठ व्रत रखा था. उन्हें कुष्ट रोग हो गया था. इस रोग से मुक्ति के लिए भगवान भास्कर ने भी छठ व्रत किया था.
साल में दो बार मनाया जाता है छठ महापर्व
बता दें कि आस्था का महापर्व साल में दो बार कार्तिक माह एवं चैत्र माह में मनाया जाता है. चार दिनों तक चलने वाला चैती छठ आज संपन्न हुआ . पहले दिन नहाय-खाय और दूसरे दिन व्रतियों ने दिन भर उपवास कर शाम में खरना किया. वहीं तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया गया. जबकि आज उदीयमान भास्कर को अर्घ्य दिया गया. इसके बाद व्रतियों ने पारण करके निर्जला उपवास को पूरा किया. अब व्रतियां कार्तिक माह में छठ करेंगी.
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