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चक्रधरपुर: कुदलीबाड़ी में बा पोरोब की बिखरी मनमोहक छटा, मांदर-नगाड़े की थाप पर झूमे लोग

Rahul Hembrom Chakradharpur : चक्रधरपुर शहरी क्षेत्र के कुदलीबाड़ी में प्रकृति के उपासक जनजातीय हो समुदाय द्वारा बा पोरोब मनाया जा रहा है. बा पोरोब अर्थात फूलों का त्योहार. इस अवसर पर कुदलीबाड़ी में मनमोहक छटा बिखर रही है. परंपरानुसार अपने घरों में पूजा अर्चना करने के उपरांत लोग सुसज्जित आकड़ा में एकत्रित हो रहे हैं. गुरुवार की रात को समाज के लोगों ने कानों और महिलाओं ने जूड़ों में साल के फूलों की बालियां सजा कर आकड़ा में दमा दुमांग के थाप और बा पोरोब लोकगीत के साथ सामूहिक नृत्य किया. इसे भी पढ़ें: झामुमो">https://lagatar.in/jmm-mla-lobin-hebrem-i-am-hurt-by-cms-statement-entire-jharkhand-is-burning-the-letter-of-1932-should-be-implemented/">झामुमो

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अतिथियों का हुआ सामूहिक सत्कार

[caption id="attachment_274391" align="aligncenter" width="600"]https://lagatar.in/wp-content/uploads/2022/03/25mjsr3a.jpg"

alt="" width="600" height="284" /> आकड़ा में अतिथियों का स्वागत करती महिलाएं.[/caption] ज्ञात हो कि बा पोरोब हो आदिवासियों का दूसरा महत्वपूर्ण त्योहार है. बा पोरोब के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कुदलीबाड़ी समेत अन्य क्षेत्रों में बच्चों की निशुल्क शिक्षा के लिये काम कर रही मिशन एक प्रयास संस्था के टीम लीडर केशव मिश्रा मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए. मुख्य अतिथि के साथ ही मिशन एक प्रयास के चंद्रशेखर महतो, राहुल के आगमन पर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया. परंपरानुसार थाली पर अतिथियों के हाथ-पांव धोए गए. कानों में साल के फूलों की बालियां लगाए गए और अंग वस्त्र देकर सम्मानित किए गए.

आयोजन को सफल बनाने में इनका रहा योगदान

कार्यक्रम में ग्राम मुंडा बुधु गागराई, पूर्व पार्षद प्रीति होरो, पालो सुंडी, पूजा लामाय, सुलोचना बोदरा, निर्मला गोप, मुन्नी पुरती, सपानी जामुदा, मंगला लामाय, मनोज महतो, शंकर सुंडी, सुरसिंह गागराई, सागर बांकिरा, मंगल गिलुवा आदि व्यक्तियों का योगदान रहा.

शनिवार को है बा पोरोब का अंतिम दिन गिडी बाहा

आदिवासी हो समाज में बा पोरोब मुख्यत: चार दिन तक मनाया जाता है. पहला दिन बा पोरोब कटब है, जिसमें बा पोरोब डियंग उपवास में मनाया जाता है. दूसरा दिन बा गुरी होता है, जिसमें घर की गोबर से साफ सफाई की जाती है. तीसरा दिन बा पोरोब होता है, जिसमें देशाउली और हाम हो दुम की पूजा की जाती है. पूजा का अंतिम दिन बा बासी होता है, जिसमें साल के फूलों को चिन्हित गांव के किनारे रखा जाता है और इसे गिडी बाहा कहा जाता है. शनिवार को कुदलीबाड़ी में पूजा का अंतिम दिन बा बासी मनाया जाएगा.

बा पोरोब में इन चीजों का है विशेष महत्‍व

गांव के दियुरी देशाउली स्थल में साल के फूलों से भरी डाली रखकर गांव के रखवाला देवता देशाउली एवं पालन पोषण देवी जाएरा एरा की सूका संडी(मुर्गा) और ककार कलुटी (मुर्गी) की बलि देकर एवं डियंग रासी (हड़िया) अर्पित कर पूजा अर्चना करते हैं. इस पोरोब में महत्वपूर्ण महुआ फूल और आम फल की पूजा की जाती है. मसूर दाल और ईचा हाकु (चिंगड़ी मछली) की पूजा की जाती है. हर घर के आदिंग (पूजा घर) में साल का फूल रख कर आम, महुआ फूल, मसूर दाल, ईचा हाकु एवं चावल की पूजा की जाती है. फिर गांव के आकडा में साल की फूलों की डाली बीच में गाड़ी जाती है और रात भर जादुर होता है. महिलाएं गीत गाते-गाते नाचती हैं और पुरूष भी गीत गाते हैं, जिसे जादुर कहा जाता है. नवयुवक और युवतियों अपनी खुशी, प्रेम भाव, दुख, सुरक्षा और विपत्ति आदि गीत के माध्यम से प्रकट करते हैं. आदिवासी समाज इस पर्व से नए पत्तों, नए आम फल और महुआ फूल के प्रयोग की शुरुआत करते हैं. इसे भी पढ़ें: बिहार">https://lagatar.in/bihar-if-justice-was-not-found-14-year-old-son-set-himself-on-fire-and-jumped-from-the-roof/">बिहार

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