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चार दिन का होता है बा पोरोब
alt="" width="350" height="250" /> आदिवासी हो समाज में बात पोरोब मुख्यत: चार दिन तक मनाया जाता है. हवा दिन बा पोरोब कटब है, जिसमें बा पोरोब डियंग उपवास में बनाया जाता है. दूसरा दिन बा गुरी होता है, जिसमें घर की गोबर से साफ सफाई की जाती है. तीसरा दिन बा पोरोब होता है, जिसमें देशाउली और हाम हो दुम की पूजा की जाती है. पूजा का अंतिम दिन बा बासी होता है, जिसमें साल के फूलों को चिन्हित गांव के किनारे रखा जाता है और इसे गिडी बाहा कहा जाता है. इसे भी पढ़ें : जमशेदपुर:">https://lagatar.in/jamshedpur-ssp-releases-new-song-color-with-care-by-kumar-nishant-on-holi/">जमशेदपुर:
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ऐसी है पूजा की महत्ता
alt="" width="350" height="350" /> गांव के दियुरी देशाउली स्थल में साल के फूलों से भरी डाली रखकर गांव के रखवाला देवता देशाउली एवं पालन पोषण देवी जाएरा एरा की सूका संडी(मुर्गा) और ककार कलुटी (मुर्गी) की बलि देकर एवं डियंग रासी (हड़िया)आर्पित कर पूजा आर्चना करते हैं. इस पोरोब में महत्वपूर्ण महुआ फूल और आम फल की पूजा की जाती है. मसूर दाल और ईचा हाकु (चिंगड़ी मछली) की पूजा की जाती है. हर घर के आदिंग (पूजा घर) में साल का फूल रख कर आम, महुआ फूल, मसूर दाल, ईचा हाकु एवं चावल की पूजा की जाती है. फिर गांव के आकडा में साल की फूलों की डाली बीच में गाड़ा जाता है और रात भर जादुर होता है. महिलाएं गीत गाते-गाते नाचती हैं और पुरूष भी गीत गाते हैं, जिसे जादुर कहा जाता है. नवयुवक और युवतियों आपने खुशी, प्रेम भाव, दुख, सुरक्षा और विपत्ति आदि गीत के माध्यम से प्रकट करते है. आदिवासी समाज इस पर्व से नए पत्तों, नए आम फल और महुआ फूल के प्रयोग की शुरुआत करते हैं. [wpse_comments_template]

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