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चक्रधरपुर : विद्यार्थियों ने जाना दर्शनशास्त्र में अद्वैत वेदान्त का महत्व

Chakradharpur : कोल्हान विश्वविद्यालय चाईबासा के दर्शनशास्त्र स्नातकोत्तर विभाग में शुक्रवार अद्वैत वेदान्त के प्रवर्तक श्रेष्ठम भाष्यकार और सनातन संस्कृति को नव चेतना प्रदान करने वाले आदिगुरु आचार्य शंकर की जयन्ती भारतीय दार्शनिक दिवस के रूप में मनाई गई. इस अवसर पर विभागाध्यक्ष डॉ दीपंजय श्रीवास्तव ने विद्यार्थियों को बताया कि आठ वर्ष की अवस्था में आचार्य शंकर को चारों वेदों का ज्ञान हो गया था. बारह वर्ष की अवस्था में सभी शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त कर लिया था. सोलह वर्ष की अवस्था में उन्होंने वैदिक साहित्य, ब्राह्मयण श्रौतसूत्र, मनुस्मृति, वेदों और पुराणों पर कई भाष्य लिखें तथा बत्तीस वर्ष की अवस्था में वे मोक्ष को प्राप्त होते हुए ब्रह्म में विलीन हो गए। उन्होंने इतने कम समय में अद्वैत वेदान्त की प्रतिष्ठा विश्व भर में फैला दी. इसे भी पढ़ें : जमशेदपुर:">https://lagatar.in/jamshedpur-fearing-in-laws-rahul-committed-suicide-by-jumping-from-a-7-storey-building/">जमशेदपुर:

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विद्यार्थियों को शंकराचार्य के जीवन दर्शन की दी जानकारी

दर्शनशास्त्र विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ पास्कल बेक ने आदि शंकराचार्य के जीवन दर्शन पर अपने विचार व्यक्त किया. विद्यार्थियों को उनके जीवन दर्शन पर चलकर सफलता और शांति प्राप्त करने का संदेश दिया. वहीं सहायक प्राध्यापक डॉ बिनीता कच्छप विभाग ने आचार्य के दार्शनिक सिद्धांतों को मानव जीवन के लिए कल्याणकारी बताया. जयंती समारोह में काफी संख्या में विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया तथा दर्शनशास्त्र में अद्वैत वेदान्त के महत्व को समझा. [wpse_comments_template]

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