Chakulia : चाकुलिया के जंगलों में महुआ फूल की बहार आ गई
है. फूलों से लदे महुआ के
पेड़ों से फूल गिरने शुरू हो गए हैं और ग्रामीण महुआ फूल चुनने और सुखाने में व्यस्त
हैं. ग्रामीण भोजन पानी लेकर जंगलों में महुआ फूल चुनने के लिए सुबह ही निकल जाते
हैं. फूलों को सूखा कर छोटे व्यापारियों को बेचते
हैं. इन दिनों 20-25 रुपए प्रति किलो की दर से महुआ फूल की बिक्री हो रही
है. ग्रामीण इलाके में महुआ फूल चुनकर ग्रामीण इस सीजन में 10 से 20 हजार रुपये तक की आमदनी कर लेते
हैं. उल्लेखनीय हो कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था
वनोत्पाद पर आधारित
है. वनोत्पाद ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़
है. [caption id="attachment_588663" align="aligncenter" width="600"]

https://lagatar.in/wp-content/uploads/2023/03/Chakulia-Mahua.jpg"
alt="" width="600" height="400" /> जंगल से महुआ का फूल चुनकर ले जाते ग्रामीण.[/caption]
इसे भी पढ़ें : चांडिल">https://lagatar.in/chandil-young-mans-leg-amputated-in-an-accident-on-the-bridge-under-the-dam/">चांडिल
: डैम के नीचे पुल पर दुर्घटना में युवक का पैर कटा महुआ के पेड़ से ग्रामीणों को होता है दोहरा लाभ
महुआ एक प्रमुख
वनोत्पाद है. चाकुलिया वन क्षेत्र के जंगलों में आज भी महुआ के
पेड़ हैं. हालांकि पिछले कुछ वर्षों में महुआ
पेड़ों की संख्या में कमी आई
है. चाकुलिया वन क्षेत्र के अलावे घाटशिला, मुसाबनी और राखा
माइन्स वन क्षेत्र के जंगलों में भी महुआ के
पेड़ हैं. इसके अलावा रैयत भूमि पर भी महुआ के
पेड़ हैं. महुआ का
पेड़ ग्रामीणों को दोहरा लाभ देता
है. फूलों के
झड़ जाने के बाद फल निकलते
हैं. पकने के बाद फल गिरते हैं और ग्रामीण इन्हें चुनकर इनके बीज निकालते
हैं. ग्रामीण बीज को बेचते
हैं. महुआ के बीज को लोकल भाषा में
कोचड़ा कहा जाता
है. इसके तेल का प्रयोग खाने और दीपक जलाने में होता
है. [wpse_comments_template]