Chakulia : सरकार द्वारा करोड़ों की लागत खर्च कर सरकारी कार्यालयों के भवन निर्माण के इस दौर में चाकुलिया प्रखंड भवन से सटा लैंपस भवन कभी भी ध्वस्त होकर किसी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकता है. लैंपस भवन में जर्जर तार से कभी भी भवन में बिजली प्रभावित हो सकती है. भवन के कमरों और कार्यालय में झरने की तरह छत से पानी गिरता रहता है. 1968 में निर्मित भवन में ही लैंपस का संचालन हो रहा है. लैंपस के फंड में पर्याप्त राशि है. मगर भवन निर्माण के लिए सहकारिता विभाग से प्रशासनिक स्वीकृति नहीं मिल रही है. ऐसे में इसी जर्जर भवन में लैंपस चल रहा है. यह भवन इतना जर्जर है कि दीवारों में दरारें पड़ गई हैं. छत पर पेड़ पौधे उग आए हैं. भवन की रंगाई पुताई वर्षों से नहीं होती है. छत से प्लास्टर टूट कर गिरता रहता है. लैंपस भवन जंगल और झाड़ियों से घिरा हुआ है. चहारदीवारी भी नहीं है. इसे भी पढ़ें : केयू">https://lagatar.in/ku-in-lbsm-college-the-non-teaching-staff-will-be-reinstated-on-22-vacant-posts-in-class-iii-and-16-in-class-iv/">केयू
: एलबीएसएम कॉलेज में शिक्षकेत्तर कर्मचारी के तृतीय वर्ग में 22 व चतुर्थ वर्ग में 16 रिक्त पदों पर होगी बहाली लैंपस के सचिव अरुण राय ने बताया कि इस लेंस के फंड में 42 लाख रुपए हैं. लैंपस भवन के निर्माण के लिए कई बार संबंधित विभाग को पत्राचार किया गया. भवन निर्माण के लिए प्रशासनिक स्वीकृति देने का अनुरोध किया गया. परंतु विभाग द्वारा न तो भवन का निर्माण ही कराया जा रहा है और न ही भवन निर्माण के लिए प्रशासनिक स्वीकृति दी जा रही है. इस हालत में जर्जर होकर जानलेवा बन चुके भवन में ही लैंपस का संचालन करना पड़ रहा है. 1968 में जब व्यापार मंडल हुआ करता था, तब इस भवन का निर्माण हुआ था. 1976 में व्यापार मंडल लैंपस में मर्ज कर दिया गया. तब से लैंपस भवन इसी जर्जर भवन में संचालित हो रहा है. अपनी जान जोखिम में डालकर कार्यालय में बैठना पड़ता है. लैंपस का गोदाम भी जर्जर हालत में है और जंगल झाड़ियों से घिरा हुआ है. लैंपस के सक्रिय सदस्य अक्षय कुमार महंती ने बताया कि बरसात के मौसम में यह भवन कभी भी ध्वस्त होकर किसी की जान ले सकता है. इस जर्जर भवन की मरम्मत अति आवश्यक है. [wpse_comments_template]
चाकुलिया : 1968 में बना लैंपस भवन की स्थिति जर्जर, कभी भी हो सकता है ध्वस्त

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