Chakuliya :1924 के पूर्व तक चाकुलिया में दुर्गा पूजा नहीं होती थी. तब यहां के लोग धालभूमगढ़ के कोकपाड़ा में श्यामल परिवार के यहां दुर्गा पूजा देखने और बांग्ला यात्रा करने बैलगाड़ी से जाया करते थे. वर्ष 1923 में भी यहां के स्थानीय कलाकार बांग्ला यात्रा का मंचन करने कोकपाड़ा गए थे. परंतु वहां उन्हें बांग्ला यात्रा मंचन करने का मौका नहीं दिया गया. इससे आक्रोशित लोगों ने 1924 में पुराना बाजार में पूजा शुरू की. यही पूजा सार्वजनिन दुर्गा पूजा कमेटी के नाम से जानी जाने लगी. इस कमेटी द्वारा 1940 से दशमी के दिन आयोजित होने वाला महाप्रसाद ग्रामीण इलाके में विख्यात है. इस वर्ष समिति 98 वें वर्ष पूजा आयोजित कर रही है.
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फूस की झोपड़ी बनाकर शुरू हुई थी पूजा
बुजुर्गों के मुताबिक 1924 में सुरेंद्र राय, प्रहलाद घोष विजय वल्लभ दत्त, शिबू रंजन खां समेत अन्य लोगों ने पुराना बाजार में फूस की झोपड़ी बनाकर मां दुर्गा की पूजा शुरू की. धीरे धीरे लोग जुड़ते गए और बृहद रूप से मां दुर्गा की पूजा आयोजित होने लगी. अब तो मां दुर्गा का विशाल मंडप बन गया है और भव्य पंडाल आयोजित कर हर साल मां दुर्गा की पूजा की जाती है. समिति के अध्यक्ष शंभूनाथ मल्लिक ने बताया कि 1940 में दशमी के दिन महाप्रसाद वितरण शुरू हुआ. तब जगदीश प्रसाद रुंगटा, बनारसी लाल झुनझुनवाला, बाबूलाल केडिया समेत अन्य समाजसेवियों ने महाप्रसाद की शुरुआत की. महाप्रसाद के रूप में जन सहयोग से खिचड़ी बनती है और हजारों लोग सड़क पर बैठकर महा प्रसाद ग्रहण करते हैं.
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भव्य पंडाल के निर्माण में जुटे पश्चिम बंगाल के कारीगर
सार्वजनिन दुर्गा पूजा कमेटी में शंभूनाथ मल्लिक अध्यक्ष, पतित पावन दास उपाध्यक्ष, टुंडा दे सचिव और श्रीधर मल्लिक कोषाध्यक्ष हैं. इनके अलावा कमेटी में अनेक सदस्य हैं. इस वर्ष धूमधाम से दुर्गा पूजा आयोजित की जा रही है. कमेटी के अध्यक्ष शंभूनाथ मल्लिक ने बताया कि दुर्गा मंडप के सामने पांच लाख की लागत से भव्य पंडाल का निर्माण करने में पश्चिम बंगाल के कांथी के कारीगर जुटे हुए हैं. उन्होंने बताया कि 60 फीट चौड़ा और 50 फीट लंबा पंडाल बन रहा है. पूजा के आयोजन में लगभग 15 लाख रुपए खर्च होते हैं. उन्होंने बताया कि पूजा के दौरान विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. यहां पूजा करने के लिए हजारों पुरुष और महिलाओं की भीड़ उमड़ती है.
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सड़क पर बैठकर महाप्रसाद ग्रहण करते हैं श्रद्धालु
शंभूनाथ मल्लिक ने बताया कि इस वर्ष भी दशमी के दिन महाप्रसाद का आयोजन होगा. कमेटी द्वारा 20 क्विंटल चावल और दाल तथा 12 क्विंटल सब्जी से खिचड़ी बनाई जाएगी. खिचड़ी बनाने का काम एक दिन पूर्व से ही शुरू हो जाता है. दसवीं के दिन हजारों लोग सड़क पर बैठकर महाप्रसाद के रूप में खिचड़ी खाते हैं.
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