Chandigarh: पंजाब के संगरूर लोकसभा उपचुनाव में आम आदमी पार्टी को जोरदार झटका लगा है. शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के अध्यक्ष सिमरनजीत सिंह मान ने आम आदमी पार्टी के गुरमेल सिंह को कड़े मुकाबले में शिकस्त दी. अब आम आदमी पार्टी लोकसभा से शून्य हो गई है. लोकसभा में पार्टी के एकमात्र सदस्य भगवंत मान थे. पंजाब के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने संगरूर लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था.
कांग्रेस, भाजपा और अकाली दल(बादल) की बुरी स्थिति
उपचुनाव में कांग्रेस, भाजपा और शिरोमणि अकाली दल प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई. पंजाब में आम आदमी पार्टी ने विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत से जीत हासिल की थी. तीन महीने बाद ही पार्टी को उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा है.
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कौन हैं सिमरनजीत सिंह मान ?
संगरूर लोकसभा उपचुनाव में परचम लहराने वाले सिमरनजीत सिंह मान पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं. उन्होंने अपने करियर में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया. मान ने ऑपरेशन ब्लू स्टार के विरोध में जून 1984 में आईपीएस के पद से इस्तीफा दे दिया था. दो बार के सांसद सिमरनजीत सिंह मान ने क्रमशः 1989 और 1999 में लोकसभा में तरनतारन और संगरूर का प्रतिनिधित्व किया था. उन्होंने 2014 का लोकसभा चुनाव खडूर साहिब से लड़ा और हार गए थे. हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में वह आप के उम्मीदवार प्रो. जसवंत सिंह से चुनाव हार चुके हैं.
30 साल से सिमरनजीत मान का रिकॉर्ड अजेय
सिमरनजीत सिंह मान ने साल 1989 में 561883 वोट में से 527707 रिकॉर्ड वोट लेकर 480417 वोटो से हराया था. उन्होंने कांग्रेस के अजीत सिंह मान को करारी शिकस्त दी थी. उनका रिकॉर्ड 30 साल बाद भी अजेय है. 1989 में 9वीं लोकसभा के लिए तरनतारन में हुए चुनाव में मान की पार्टी ने पांच सीटें जीती थीं. इस चुनाव में उन्होंने 561883 वाेट में से 527707 रिकॉर्ड वाेट लेकर कांग्रेस के अजीत सिंह मान काे 480417 वोटों से हराया था. उनका यह रिकॉर्ड 30 साल बाद भी कोई नहीं तोड़ पाया है.
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मान पर इंदिरा गांधी की हत्या की साजिश का आरोप
पूर्व आईपीएस अधिकारी पर इंदिरा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने से लेकर देशद्रोह तक के कई मुक़दमे चल चुके हैं. उन्हें 1984 में उन्हें भारत-नेपाल सीमा से गिरफ्तार किया गया था. वो पहली बार 1989 सांसद चुने गए. उनकी रिहाई के साथ ही तत्कालीन सरकार ने उन पर चल रहे तमाम मुकदमें भी वापस ले लिए थे.
खालिस्तान के समर्थक
दो बार सांसद रह चुके सिमरनजीत सिंह मान पृथक खालिस्तान की मांग के लिए भी जाने जाते हैं. साल 2015 में बेअदबी की घटनाओं के बाद वो फिर चर्चा में आये.