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जिम्मेदारों को किसी हादसे का है इंतजार
[caption id="attachment_412610" align="alignnone" width="1280"]alt="" width="1280" height="718" /> हादसे को आमंत्रित कर रहा पुल पर बना गड्ढ़ा[/caption] रात के अंधेरे में यहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. जिम्मेदारों को जानकारी होने के बाद भी वे पुल पर हुए गड्ढे को ठीक करने की दिशा में कोई कारगर पहल नहीं कर रहे हैं. वैसे इस पुल से रोजाना आधा दर्जन बस सहित बड़ी संख्या में दो पहिया व चार पहिया वाहनों का आना-जाना होता है. उक्त पुल व सड़क पर सांसद-विधायक के अलावा अनुमंडल पदाधिकारी, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी, थाना प्रभारी समेत विभिन्न दलों के नेताओं का आना-जाना होता है. लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान देने की जरूरत महसूस नहीं की. शायद जिम्मेदारों को किसी हादसे का इंतजार है. इसे भी पढ़ें :गालूडीह">https://lagatar.in/galudih-mla-cooperated-by-giving-food-items-in-shradh-karma/">गालूडीह
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शिबू सोरेन ने किया था पुल का उद्घाटन
[caption id="attachment_412612" align="alignnone" width="1280"]alt="" width="1280" height="718" /> पुल पर बना गड्ढ़ा.[/caption] तिरुलडीह से बामुनडीह के बीच बने "शहीद अजीत-धनंजय महतो सेतु" का शिलान्यास तत्कालीन पथ निर्माण मंत्री मधु कोड़ा व तत्कालीन भाजपा विधायक अरविंद कुमार सिंह उर्फ मलखान सिंह ने किया था. वहीं इस पुल का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद 21 अक्टूबर 2008 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिबू सोरेन, तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सुधीर महतो एवं तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री एनोस एक्का ने पुल का उद्घाटन किया था. पुल का नामकरण तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सुधीर महतो ने "शहीद अजीत-धनंजय महतो सेतु" रखा था. पुल निर्माण के 14 साल होने के बावजूद एक बार भी पुल का मरम्मती कार्य नहीं हुआ है. उक्त पुल से होकर ओवर लोड बालू लदे हाईवा का आवागमन होता था. इससे भी पुल को अधिक नुकसान पहुंचा है. इसे भी पढ़ें :गालूडीह">https://lagatar.in/galudih-mla-cooperated-by-giving-food-items-in-shradh-karma/">गालूडीह
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