Chandil (Dilip Kumar) : चांडिल प्रखंड क्षेत्र के आबादी वाले क्षेत्र मतें जंगली हाथियों का आतंक थम नहीं रहा है. आए दिन जंगली हाथियों का झुंड किसी ना किसी गांव में जान व माल की क्षति पहुंचा रहे हैं. रविवार की अहले सुबह भी जंगली हाथियों के झुंड ने चांडिल प्रखंड के खूंटी में एक वृद्ध को कुचलकर मार डाला. करीब 65 वर्षीय वृद्ध लीलकांत महतो रविवार की अहले सुबह करीब साढ़े चार बजे सोकर उठे और शौच करने के लिए घर से निकलकर जुड़िया की ओर जाने लगे. इसी क्रम में रास्ते में जंगली हाथियों ने उन्हें कुचलकर मार डाला. घटना की सूचना मिलते ही जिला परिषद सदस्य सविता मार्डी, मुखिया सुकराम माझी, समाजसेवी खगेन महतो, सेवानिवृत प्राचार्य डा पीसी महतो समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण मौके पर पहुंचे.
एक मकान को किया क्षतिग्रस्त
इसी क्रम में जंगली हाथियों ने खूंटी गांव के ही राधा माझी के मकान को क्षतिग्रस्त कर धान को अपना आहार बनाया. राधा माझी ने बताया कि हाथियों के झुंड ने घर के बाहर रखे करीब तीन क्विंटल धान को खाया और बर्बाद कर दिया. ग्रामीणों ने बताया कि झुंड में करीब 20 से 25 की संख्या में हाथी थे. सुबह ग्रामीणों ने हल्ला मचाते हुए हाथियों को वापस जंगल की ओर खदेड़ने का प्रयास किया. इसके साथ ही ग्रामीणों ने घटना की सूचना वन विभाग के पदाधिकारी और चौका थाना की पुलिस को दिया. सूचना मिलने के बाद वन विभाग के अधिकारी व चौका थाना की पुलिस मौके पर पहुंची और शव को अपने कब्जे में लेकर उसे पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल सरायकेला भेजा. मौके पर वन विभाग की ओर से मृतक के आश्रित को तत्काल सहायता के तौर पर पचास हजार की राशि सौंपा गया.
जंगली हाथियों के कारण सुरक्षित नहीं हैं जनता जंगली हाथियों के कारण ग्रामीणों का जीना मुहाल हो गया है. जिन क्षेत्रों में जंगली हाथियों का कभी आना-जाना नहीं था, वैसे क्षेत्रों में अब जंगली हाथी पहुंचकर उत्पात मचा रहे हैं. भय के माहौल में लोग जीने पर मजबूर हैं. उक्त बातें जिला परिषद सदस्य सविता मार्डी ने कहीं. उन्होंने कहा कि जंगली हाथियों रास्ते निर्माण कार्य होने और जंगलों का माहौल हाथियों के रहने लायक नहीं रहने के कारण शायद जंगली हाथी भटककर गांव की ओर अपना रूख किए हैं. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में पहले भी जंगली हाथी थे, लेकिन कभी आबादी वाले गांवों में उनका आना-जाना नहीं था. वन विभाग को जंगलों के वर्तमान पर गंभीरता के अध्ययन करना चाहिए कि आखिर हाथी जंगलों से निकलकर गांवों की ओर क्यों जा रहे हैं.