Chandil (Dilip Kumar) : कुड़मी/कुरमी/महतो जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में किए गए रेल टेका यानि रेल रोको आंदोलन प्रधानमंत्री के नाम मांग पत्र सौंपने के बाद समाप्त हो गया. इस दौरान कुड़मी समाज के विभिन्न संगठनों ने करीब पांच घंटे तक रेलवे का परिचालन बाधित रखा. रेल रोकाे आंदोलन को लेकर मौके पदाधिकारी भी सक्रिय दिखाई दिए. इनमें नीमडीह के प्रखंड विकास पदाधिकारी शंकराचार्य सामद, दंडाधिकारी के रूप में तैनात अंचल अधिकारी संजय कुमार पांडेय, स्टेशन मास्टर अशोक विश्वास, एसीएम जयदेव राय, पुलिस निरीक्षक पास्कल टोप्पो आदि मौके पर खुद तैनात थे. आदिवासी कुड़मी समाज ने बीडीओ को अपना मांग पत्र सौंपा. इस अवसर पर सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए आरपीएफ के अलावा नीमडीह थाना प्रभारी भी दल-बल के साथ मुस्तैद दिखे.
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क्या है प्रधानमंत्री के नाम लिखे पत्र में
आदिवासी कुड़मी समाज की ओर से देश के प्रधानमंत्री के नाम लिखे गए मांग पत्र में कहा गया है कि कुड़मी जनजाति देश की आजादी के पहले अनुसूचित जनजाति में सूचीबद्ध था. आजादी के बाद 1950 के पूर्व के सभी जनगणना में कुड़मी समुदाय को ट्राइबल लिखा गया है. हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी, यहुदी से अलग धर्म, अलग परंपरा, अलग उत्तराधिकार एवं विरासत होने का जिक्र करते हुए कुड़मी समुदाय के साथ और 12 जनजाति को भी भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम एवं विरासत संबंधी कोई भी हिंदू, मुस्लिम या इसाई लो लागू नहीं होता है. संविधान के अनुच्छेद 13 के अनुसार यह नोटिफिकेशन मौलिक अधिकार के अंतर्गत आता है.
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72 वर्षों से चल रहा आंदोलन
पत्र में कहा गया है कि1951 में जारी भारत सरकार के पत्रांक में जनजातीय सूची में कुड़मी जनजाति उल्लेख नहीं होने के कारण तत्कालीन संसद सदस्य हृदयनाथ कंजरु द्वारा संसद में पूछे गए सवाल के जवाब में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इसे सरकारी भूल स्वीकार की थी एवं अतिशीघ्र इस भूल को सुधारने की स्वीकृति दी थी. तब से अब तक 72 वर्षों के उपरांत भी लगातार आंदोलन, मांग पत्र एवं ज्ञापन सौंपने के बाद भी केंद्र सरकार द्वारा इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई है. इसी मांग को लेकर मंगलवार को झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में एकदिवसीय रेल रोको आंदोलन किया गया. जो पूर्व घोषित था और शांतिपूर्वक संपन्न हुआ. पत्र में प्रधानमंत्री से आदिवासी कुड़मी समुदाय को अनुसूचित जनजाति की सूची में सूचीबद्ध करने की मांग शामिल थी.
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