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चांडिल : बारिश से कहीं खुशी कहीं गम का माहौल, किसान खुश तो विस्थापित चिंतित

Chandil (Dilip Kumar) : मानसून के दौरान बारिश होने से आमतौर पर सभी खुशी का इजहार करते हैं. किसानों के चेहरे खिले रहते हैं. गर्मी के दौरान सूख चुके तालाब व नदी-नालों में पानी का बहाव शुरू हो जाता है. चारों ओर हरियाली छा जाती है. वहीं चांडिल अनुमंडल क्षेत्र में मानसून की बारिश किसी के लिए खुशी तो किसी के लिए परेशानी लेकर आती है. मानसून की मुसलाधार बारिश जहां किसानों के लिए खुशियां लेकर आता है, वहीं सुवर्णरेखा बहुद्देशीय परियोजना से प्रभावित चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के दो दर्जन से अधिक गांवों के विस्थापित इससे चिंतित रहते हैं. विस्थापितों के चिंतित रहने का कारण तेज बारिश होने से डैम के किनारे बसे डूब क्षेत्र के गांवों का जलमग्न होना है. मानसून की तेज बारिश चांडिल अनुमंडल क्षेत्र में कहीं खुशी कहीं गम का माहौल उत्पन्न करती है. इसे भी पढ़ें : किरीबुरू">https://lagatar.in/kiriburu-scorpio-crashes-near-wireless-maidan-guardwal-saves-drivers-life/">किरीबुरू

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नहीं हो सका संपूर्ण मुआवजा का भुगतान

[caption id="attachment_734328" align="aligncenter" width="600"]https://lagatar.in/wp-content/uploads/2023/08/Chandil-Flood-1.jpg"

alt="" width="600" height="400" /> डैम के खोले गए पांच रेडियल गेट.[/caption] डूब क्षेत्र के गांवों में विस्थापितों का अब भी रहने का मूल कारण उनका संपूर्ण मुआवजा का भुगतान नहीं होना बताया जा रहा है. विस्थापित बताते हैं कि चांडिल डैम से विस्थापित होने वालों को सरकार अबतक ना संपूर्ण मुआवजा का भुगतान कर सकी है और ना उन्हें संपूर्ण पुनर्वास की सुविधा ही मिल सका है. वैसे विस्थापित के लिए 22 पुनर्वास स्थलों का निर्माण सुवर्णरेखा परियोजना द्वारा किया गया है. लेकिन अबतक सभी पुनर्वास स्थलों पर मुलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हुई है. मुआवजा और संपूर्ण पुनर्वास की सुविधा नहीं मिलने के कारण डूब क्षेत्र के कई गांवों में विस्थापित अपने परिवार, छोटे-छोटे बच्चे, मवेशी आदि के साथ रहने को मजबूर हैं. ऐसे में अगर अचानक गांव में पानी घुसता है तो उन परिवारों के समक्ष विकट स्थिति पैदा हो जाती है. शुक्रवार की रात ईचागढ़ समेत आधा दर्जन गांवों में ऐसा ही स्थिति उत्पन्न हो गया. [wpse_comments_template]

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