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Chandil (Dilip Kumar) : दलमा राजा राकेश हेंब्रम ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर दलमा बुरू सेंदरा को राजकीय पर्व घोषित करने की मांग की है. इसके साथ ही उन्होंने आदिवासियों के पारंपरिक सर्वोच्च न्याय प्रणाली, लौ वीर बैसी (जो सेंदरा के दौरान सुताम टांडी यानी विश्राम स्थल में आयोजित की जाती है) को धार्मिक धरोहर के रूप में संरक्षण व संवर्द्धन करने की भी मांग की है. उन्होंने कहा कि आदिवासियों का सेंदारा परब बुरू बोंगाओं यानी पहाड़ के देवताओं के प्रति श्रद्धा एवं समर्पण का महान परब है. इस अवसर पर आदिवासी समाज के सेंदरा वीर शौर्य एवं वीरता का परिचय प्रस्तुत करते हैं. इस अवसर पर समाज के कई अनसुलझे मुद्दों को आदिवासियों पारंपरिक सर्वोच्च न्याय प्रणाली “लौ वीर बैसी” के समक्ष न्याय निर्देशन के लिए प्रस्तुत किया जाता है. आदिवासी समाज की यह व्यवस्था आधुनिक दौर में भी प्रासंगिक है. रूढ़िवादी पारंपरिक रीति-रिवाज के साथ-साथ भारतीय संविधान के अनुच्छेदों में भी आदिवासियों के सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक पहचान को बनाए रखने हुए संरक्षण व संवर्द्धन की बातें की गई हैं.
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मुख्यमंत्री को किया आमंत्रित
दलमा राजा ने कहा कि विगत कई वर्षों से राज्य सरकार के निर्देश पर प्रशासन द्वारा दलमा बुरू सेंदरा परब के धार्मिक अनुष्ठानों पर विघ्न डालने का प्रयास किया जाता रहा है, जो सरासर गलत व गैर-संवैधानिक है. उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि आदिवासी हितों के संरक्षण और संवैधानिक अधिकारों को बहाल करने के लिए दलमा बुरू सेंदरा परब को राजकीय महोत्सव घोषित किया जाए और पारंपरिक औजार के साथ शिरकत करने वाले सेंदरा वीरों को रोका न जाए. यदि हमें अपनी परंपराओं के निर्वहन से वंचित किया जाता है, तो यह आदिवसी समुदायों पर कुठाराघात के रूप में समझ जाएगा और इसे लौ वीर बैसी” में ही न्याय निर्देशन के लिए रखा जाएगा. प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी दलमा बुरू सेंदरा परब को हर्षोल्लास के साथ मनाने के लिए एक मई की तिथि को निर्धारित की गई है. इस अवसर पर आपकी उपस्थिति आपेक्षित है.
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