Chandil (Dilip Kumar) : झारखंड में संताली भले ही दूसरी राजभाषा है, लेकिन भाषा के विकास के लिए सरकारी स्तर पर किसी प्रकार की पहल नहीं की जा रही है. सरकारी स्कूलों में न संताली भाषा की पढ़ाई होती है और न बच्चों को संताली भाषा की किताब ही दी जाती है. जबकि नई शिक्षा नीति में भी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा उनकी मातृभाषा में देने का ही प्रावधान किया गया है. वहीं, अब विभिन्न सामाजिक संगठन अपने स्तर से अपनी भाषा-संस्कृति के विकास के लिए पहल करने लगे हैं. इसी के तहत रविवार को चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के चौका पंचायत भवन में मारांग बुरु ऑल ईतुन असड़ा की शाखा खोली गई. यहां हर रविवार को क्षेत्र के बच्चों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा दी जाएगी.
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आपसी सहयोग से किया जाएगा केंद्र का संचालन
इस अध्ययन केंद्र का संचालन सामाजिक स्तर पर आपसी सहयोग से किया जाएगा. ओलचिकी भाषा की पढ़ाई के लिए यहां दो प्रशिक्षित शिक्षक प्रतिनियुक्त किए गए हैं. यहां असड़ा के शिक्षक सोमचांद सोरेन व गणेश सोरेन क्षेत्र के बच्चों को उनकी मातृभाषा ओलचिकी लिपि की शिक्षा देंगे. इसके साथ ही आधुनिक जमाने में अपनी प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए बच्चों को अंग्रेजी माध्यम की भी शिक्षा दी जाएगी.
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45 बच्चे रहे उपस्थित
विदित हो कि मारांग बुरु ऑल ईतुन असड़ा में पहले दिन अर्थात 10 जुलाई को चौका, टुईडुंगरी, दुबराजपुर, कुरली समेत आसपास के 45 बच्चे उपस्थित थे. बच्चों को पहले दिन अपनी भाषा-संस्कृति की जानकारी दी गई व उनकी रूचि किस ओर है इसकी पड़ताल की गई. शाखा के शुभारंभ के मौके पर असड़ा के सदस्य ठाकुर सोरेन, कृष्णा बेसरा, कुरली गांव के माझीबाबा संजीव टुडू, चौका गांव के माझी बाबा महेंद्र नाथ टुडू, असड़ा के शिक्षक सोमचांद सोरेन व गणेश सोरेन समेत कई लोग उपस्थित थे.
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