Chandil (Dilip Kumar) : पारा शिक्षक गैर पारा जेटेट सफल अभ्यर्थी संघ झारखंड प्रदेश के अध्यक्ष कुणाल दास ने चुनाव आयोग से सहायक आचार्य की तर्ज पर सहायक विधायक और सहायक सांसद निर्वाचित करने का आग्रह किया है. गुरुवार को एक पत्रकारों से बात करते हु उन्होंने कहा कि सूबे में जिस प्रकार से राजकोष पर आर्थिक बोझ कम करने के उद्देश्य से सरकारी स्कूलों में सहायक आचार्य नियुक्ति करने की कवायद चल रही है उस मुहिम में विधायिका को भी आगे आकर पहल करनी चाहिए.
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छोटी अवधि के लिए विधायक और सांसद निर्वाचित किए जाएं
संघ की ओर से चुनाव आयोग से आग्रह करते हैं कि वर्तमान परिदृश्य में विधायकों और सांसदों के वेतन और भत्ताओं में जिस बेतरतीब तरीके से वृद्धि के चलते राजकोष पर फिजूल में आर्थिक बोझ पड़ रहा है, उसे कम करने के लिए नियत मानदेय पर छोटी-छोटी अवधि के लिए विधायक और सांसद निर्वाचित किए जाएं. ऐसे में अधिक से अधिक लोगों को जनप्रतिनिधित्व का अवसर भी प्राप्त होगा, साथ ही राजकोष पर बोझ भी कम होगा. अगर चुनाव आयोग इस तरह का प्रावधान करती है तो निश्चित तौर पर यह मील का पत्थर साबित होगी.
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शिक्षकों की मानसिकता पर कुठाराघात कर रही सरकार
कुणाल दास ने कहा कि शिक्षक राष्ट्र निर्माता होते हैं इसीलिए दुनिया भर के कई विकसित देशों में सुविधाएं एवं वेतनादि आईएएस से अधिक हैं. जबकि हमारे देश में शिक्षकों को चपरासी दर्जे की सुविधाएं देने की तैयारी चल रही है. इस तरह का प्रावधान शिक्षक समुदाय की मानसिकता पर अप्रत्यक्ष कुठाराघात है. भविष्य में स्टूडेंट्स पढ़-लिखकर शिक्षक की नौकरी करने से कतराएंगे. कोई भी शिक्षक बनना पसंद नहीं करेगा. उन्होंने राज्य सरकार को आगाह करते हुए कहा कि वर्ष 2013 और 2016 में आयोजित जेटेट परीक्षा झारखंड प्रारंभिक विद्यालय शिक्षक नियुक्ति नियमावली 2012 के आलोक में ली गई थी, इसलिए उक्त अभ्यर्थियों का संवैधानिक अधिकार है कि पुरानी नियमावली के तहत ही मैरिट लिस्ट बनाकर उन्हें सरकारी शिक्षक के पद पर नियुक्त किया जाए
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नहीं होने दी जाएगी सहायक आचार्य नियुक्ति
पारा शिक्षक गैर पारा जेटेट सफल अभ्यर्थी संघ झारखंड प्रदेश ने कहा कि हाल ही में संपन्न त्राहिमाम यात्रा एक सांकेतिक प्रदर्शन था. अगर सरकार सहायक आचार्य नियुक्ति करने का प्रयास भी करती है तो आगे राज्यव्यापी उग्र आंदोलन किया जाएगा. वेतनादि में कमी आखिर शिक्षक की नौकरी में ही क्यों ? बाकी विभागों की तुलना में शिक्षा विभाग के प्रति सरकार कैसी सोच रखती है इसकी झलक देखने को मिल रही है. सहायक आचार्य नियुक्ति नियमावली का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा. किसी भी हालत में राज्य में सहायक आचार्य नियुक्ति नहीं होने दिया जाएगा.
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