Chandil (Dilip Kumar) : ईचागढ़ प्रखंड के कुटाम, चोगाटांड में ग्रामीणों ने रविवार की सुबह एक खेत में मादा हाथी को मृत अवस्था में देखा गया. ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन विभाग को दी. मृत हाथिनी की उम्र 15 से 20 वर्ष के बीच बतायी जा रही है. आशंका व्यक्त की जा रही है कि शनिवार की रात को ही मादा हाथी की मौत हुई है. सुबह ग्रामीणों के खेत की ओर निकलने के बाद इसकी जानकारी हुई. इसके बाद ग्रामीण मृत मादा हाथी की पूजा-अर्चना में जुट गए.
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ग्रामीण अगरबत्ती दिखाकर और फूल अर्पण कर मृत मादा हाथी को अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहे थे. उल्लेखनीय है कि हाथी को भगवान गणेश का स्वरूप माना जाता है. बताया जा रहा है कि शनिवार की रात 10 से 12 की संख्या में जंगली हाथियों का झुंड चोगाटाड़ गांव में विचरण करते देखा गया था. ग्रामीणों ने आशंका जताई कि मृत मादा हाथी उसी झुंड की हो सकता है.
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हाथी की मृत्यु कैसे हुई, जांच का विषय
ईचागढ़ के चाेगाटांड़ में मादा हाथी की मौत की सूचना मिलने पर चांडिल के वन क्षेत्र पदाधिकारी मैनेजर मिर्धा ने इसकी जानकारी वरीय अधिकारियों को दी. उन्होंने बताया कि मादा हाथी की मौत कैसे हुई, यह जांच का विषय है. शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद उसका अंतिम संस्कार किया जाएगा. मादा हाथी की मृत्यु के बाद क्षेत्र में तरह-तरह की चर्चा है. लोगों का कहना है कि कीटनाशक दवा डाले गए खेतों में धान का पौधा खाकर हाथी की मौत हुई है, तो कोई कह रहा है कि फसल को सुरक्षित रखने के लिए ग्रामीण बिजली का करंट लगाकर रखे होंगे, जिसकी चपेट में आकर हाथी की मौत हुई है.
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वास्तविकता तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल पाएगा. चांडिल अनुमंडल क्षेत्र में इस वर्ष तीन हाथियों की मौत हो चुकी है. इस वर्ष सबसे पहले छह जनवरी को आंडा गांव में कुआं में गिरकर एक हाथी की मौत हुई थी. इसके बाद नौ जून को लेटेमदा में ट्रेन की चपेट में आकर एक हाथी की मौत हुई थी. अब ईचागढ़ के चोगाटांड़ में मादा हाथी की संदेहास्पद स्थिति में मौत लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है.
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दिख रहा आंदोलन का असर
मादा हाथी की मौत के बाद वन विभाग की कार्रवाई में वनरक्षियों के आंदोलन का असर साफ झलक रहा है. ग्रामीणों की सूचना देने के बाद भी विभागीय कर्मियों का देर तक नहीं पहुंचने का कारण भी वनरक्षियों का आंदोलन है. वहीं रविवार होने के कारण भी पदाधिकारियों के घटनास्थल पर पहुंचने में विलंब हो रहा है. झारखंड राज्य अवर वन क्षेत्रकर्मी संवर्ग नियमावली, 2014 में अहितकारी संशोधन करके झारखंड राज्य अवर वन क्षेत्रकर्मी संवर्ग नियमावली, 2024 बनाकर वनपाल के शत-प्रतिशत प्रोन्नति के पद में कटौती करते हुए 50 प्रतिशत पदों पर सीधी नियुक्ति करने के निर्णय के विरुद्ध राज्य के सभी वनरक्षी अपने सभी विभागीय कामकाज को छोड़कर अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं.
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16 अगस्त से वनरक्षियों का आंदोलन जारी है, लेकिन उनके आंदोलन की अब तक किसी ने सुध नहीं ली है. आंदोलनरत कर्मियों का कहना है कि इसके लिए झारखंड राज्य अवर वन सेवा संघ मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, प्रधान मुख्य वन संरक्षक से कई बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन किसी भी स्तर से सकारात्मक पहल नहीं की गयी.
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