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- सरस्वती मंदिर में स्थापित है देवी की मूर्ति, लगता है पांच दिवसीय मेला
Chandil (Dilip Kumar) : चांडिल प्रखंड के हारूडीह में हंसवाहिनी मां सरस्वती का ऐतिहासिक मंदिर हैं, जहां देवी की आकर्षक मूर्ति स्थापित है. सार्वजनिक सरस्वती पूजा कमेटी हारूडीह-धादकीडीह और उदियमान सरना उन्नयन समिति हारुडीह के संयुक्त तत्वावधान में यहां मां सरस्वती की पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है. इस अवसर पर पांच दिवसीय मेला भी लगता है. हारुडीह में वर्ष 1911 से देवी की पूजा-अर्चना की जा रही है.
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चांडिल के हारुडीह स्थित मां सरस्वती मंदिर के पूजा व मेला कमेटी के सचिव लक्ष्मीकांत महतो ने बताया कि पूर्वजों द्वारा शुभारंभ किए गए सरस्वती मेला के आयोजन की परंपरा को अब भी निष्ठा व श्रद्धापूर्वक मनाया जा रहा है. मेला में विभिन्न भाषाओं के सांस्कृतिक कार्यक्रम का संगम श्रद्धालु और दर्शकों के लिए आस्था व आकर्षण का केंद्र रहता है. इस वर्ष सरस्वती पूजा के उपलक्ष्य पर यहां 21 फरवरी तक रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है.
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रोज होगा मुर्गा पाड़ा
उन्होंने बताया कि मेला में रोज सुबह मुर्गा पाड़ा का आयोजन किया जाएगा. बुधवार को परंपरा के अनुसार देवी की पूजा-अर्चना के बाद प्रसाद का वितरण किया गया. शाम को हारुडीह के देलका डांस ग्रुप के कलाकरों ने आकर्षक डांस प्रस्तुत किया. वहीं मेला के पहले दिन 16 फरवरी शुक्रवार को दिन में मुर्गा पाड़ा का आयोजन किया गया है. इसके बाद शाम को माधुरी डांस ग्रुप करनडीह के कलाकार डांस प्रस्तुत करेंगे. इसके बाद 17 फरवरी शनिवार को दिन दस बजे से मुर्गा पाड़ा, आदिवासी पांता नाच के साथ दोपहर दो बजे से तपती महतो, झाड़ग्राम के झुमर कलाकार झुमर संगीत पेश करेंगे. वहीं रात को ज्योत्सना देवी और बिजली देवी बाई नाच प्रस्तुत करेंगी. रात को ही आदिम ओवर जारपा ओपेरा मयुरभंज ओडिशा की ओर से आदिवासी ड्रामा गाते दुलाड़ ताला रेईञ मा मेनाय जालारे का मंचन किया जाएगा. ऐतिहासिक सरस्वती मेला में झारखंड के अलावा पश्चिम बंगाल और ओडिशा से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं.
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झुमर और छऊ नाच का होगा समागम
18 फरवरी को सुबह मुर्गा पाड़ा के बाद दिन दो बजे से झाड़ग्राम, पश्चिम बंगाल के समीर महतो झुमर संप्रदाय के कलाकारझुमर संगीत प्रस्तुत किया जाएगा. वहीं रात को कार्तिक सिंह मुंडा बनाम वीणाधर कुमार छऊ नृत्य दल के बीच छऊ नाच होगा. सोमवार 19 फरवरी को सुबह मुर्गा पाड़ा के बाद दोपहर में वनलता झुमुर अखाड़ा, झाड़ग्राम, पश्चिम बंगाल के कलाकारों के द्वारा झुमर संगीत पेश किया जाएगा. इसके बाद मंगलवार 20 फरवरी को सुबह मुर्गा पाड़ा के बाद दोपहर में झाड़ग्राम के झुमर सम्राट सुरजीत व दीपिका का दल झुमर प्रस्तुत करेंगे. वहीं रात को उस्ताद बिकास महतो बनाम उस्ताद दारासिंह कुमार के छऊ नृत्य दल के बीच छऊ नाच होगा. मेला के अंतिम दिन बुधवार 21 फरवरी को सुबह कलश विसर्जन के बाद मुर्गा पाड़ा का आयोजन किया जाएगा. इसके बाद लक्की ड्रॉ के साथ मेला का समापन होगा.
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