Chandil (Dilip Kumar) : दलमा वन क्षेत्र प्रभावित संघर्ष समिति की ओर से दो जुलाई को दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी, कार्यालय मानगो जमशेदपुर के खिलाफ महाविरोध प्रदर्शन किया जाएगा. महाविरोध प्रदर्शन को लेकर समिति ने शुक्रवार को धालभूम अनुमंडल पदाधिकारी को पत्र सौंपा है. पत्र सौंपने वालों में सुकलाल पहाड़िया, सुचांद सिंह, दीनबंधु सिंह, रविंद्र सरदार, जितेन सिंह आदि शामिल थे. वन विभाग द्वारा लागू किए गए कई नियमों के खिलाफ और आठ सूत्री मांगों के समर्थन में समिति महाविरोध प्रदर्शन का आयोजन कर रही है.
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यह है समिति की मांगें
समिति की मांगों में किसानों के धान समेत सब्जी आदि की फसल को जंगली हाथी, बंदर, भालू, सूअर आदि के द्वारा अपना आहार बनाने और बर्बाद किए जाने पर प्रति एकड़ एक लाख की दर से मुआवजा देने, जंगली हाथी द्वारा किसी व्यक्ति की जान लेने पर दस लाख रुपये का मुआवजा देने, वन क्षेत्र में अवस्थित सरना स्थल, मंदिर, श्मशान आदि सार्वजनिक स्थलों पर वन विभाग द्वारा छेड़छाड़ बंद करने, माकुलाकोचा हिरण पार्क चेकनाका में वाहनों से टैक्स वसूलना बंद करने, दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी में पदस्थापित सभी पदाधिकारी व कर्मियों की संपत्ति की जांच करने समेत अन्य मांगें शामिल हैं.
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जंगल के रखवाले होते आदिवासी
इस संबंध में सुकलाल पहाड़िया ने कहा कि दलमा वन क्षेत्र के पदाधिकारी व कर्मियों द्वारा दलमा वन क्षेत्र के निवासियों और दलमा वन दर्शन करने आने वाले सैलानियों को तरह-तरह का कानून लगा कर परेशान किया जा रहा है. दलमा पहाड़ के रास्ते संपदडीह, माकुलाकोचा, चाकुलिया समेत अन्य कई गांवों से प्रतिदिन मजदूरी करने अमशेदपुर जाने वालों को भी माकुलाकोचा चेकनाका में टैक्स देने के लिए दबाव दिया जाता है. रुपये नहीं देने पर वापस जाने की बात कही जाती है. उन्होंने कहा कि दलमा वन क्षेत्र के आस-पास के आदिवासी बहुल गांवों के लोग दलमा को अपनी मां और बाबा मानते हैं. आदिवासी शिकारी प्रवृति के जरूर होते हैं, लेकिन इतने बेवकूफ नहीं कि जंगल से लुप्त होते जानवरों का सेंदरा कर उसे खत्म कर दें. आदिवासी मानवता के दृष्टिकोण से जल, जंगल, जमीन और जंगली में वालों जीवों का संरक्षण व संवर्धन करते आए हैं.
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झूठे आरोप में गिरफ्तार को रिहा करने की मांग
समिति ने कहा कि पांच जून को दलमा वन क्षेत्र के वनकर्मियों ने नीमडीह प्रखंड अंतर्गत चालियामा पंचायत के बांधडीह गांव के एक आदिवासी डांटू सिंह को जंगली सूअर के शिकार करने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. जबकि वहीं डांटू सिंह कुछ वर्ष पहले जंगल से भटककर गांव पहुंच हिरण के बच्चे को स्वयं उठाकर जंगल में छोड़ आया था. इतना ही नहीं डांटु सिंह बांधडीह गांव के वन पालन समिति का सक्रिय सदस्य भी है. उच्चाधिकारी मामले की गहनता से जांच करे और डांटु सिंह को अविलंब रिहा करे. दलमा हिल टॉप पर भूमिज आदिवासियों का प्रचीन देव स्थल है, जिसे वन विभाग असंवैधानिक तरीके से कब्जा कर रखा है. समिति मांग करती है कि परंपरागत पवित्र स्थल पर कब्जा हटाते हुए उसे देव स्थल ही रहने दिया जाए.