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चांडिल : एसएमपी की सीबीआई जांच के लिए सांसद ने लोकसभा में सरकार से किया आग्रह

Chandil (Dilip Kumar) : सुवर्णरेखा बहुद्देशीय परियोजना चांडिल डैम और विस्थापितों से जुड़े कार्यों की सीबीआई जांच के लिए रांची के सांसद संजय सेठ ने संसद में आवाज उठाई है. सांसद ने सरकार से पूरी परियोजना की सीबीआई जांच की मांग की है. नियम 377 के तहत सांसद ने लोकसभा में अपनी बात रखते हुए कहा कि 1976 में संयुक्त बिहार में चांडिल में स्वर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना रूपरेखा तय की गई थी. परियोजना के तहत स्वर्णरेखा नदी पर बड़ा बांध बनाना था और इस से बिजली उत्पादन, सिंचाई सहित कई उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाना था. इसे भी पढ़ें :किरीबुरू">https://lagatar.in/kiriburu-solution-to-water-related-problem-in-lipunga-school-within-a-week-executive-engineer/">किरीबुरू

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45 साल में पूरा नहीं हो सका परियोजना

परियोजना को आए हुए 45 साल से अधिक हो गए, लेकिन अबतक यह परियोजना पूर्ण नहीं हो पाई है. परियोजना की बात तो दूर डैम से विस्थापित हुए परिवारों को उनके विस्थापित होने का पहचान पत्र, मुआवजा व पुनार्वास तक पूरा नहीं किया जा सका है. सदन के माध्यम से उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि परियोजना के आरंभ काल से लेकर अभी तक हुए कार्यों की सीबीआई से जांच कराई जाए ताकि विस्थापितों को न्याय मिल सके. परियोजना पूर्ण हो सके और सरकार व आम नागरिकों को परियोजना का लाभ मिल सके. आम जनता जो डैम को लेकर हमेशा दहशत में रहती है, वह भी सामान्य जीवन जी सके. इसे भी पढ़ें :जमशेदपुर">https://lagatar.in/jamshedpur-as-soon-as-he-took-charge-the-dc-reviewed-the-law-and-order-of-the-district-said-negligence-in-the-discharge-of-responsibilities-will-not-be-tolerated/">जमशेदपुर

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सरकार को ठोस कदम उठाने की जरूरत

सांसद संजय सेठ ने सदन में कहा कि 1976 में 150 करोड़ रुपये की लागत से शुरू हुई परियोजना वर्तमान में 14 हजार करोड़ रुपये से अधिक का हो चुका है. बावजूद इसके ना तो विस्थापितों को न्याय मिल पाया ना तो यह परियोजना पूर्ण हो पाई. इस परियोजना से ना बिजली उत्पादन हो रहा है ना किसानों को सिंचाई की सुविधा मिल पा रही है. परियोजना के कारण 116 गांव के लोग पूर्ण व आंशिक रूप से विस्थापित हुआ है. इससे 19 हजार से अधिक परिवार विस्थापित हुए हैं. बरसात के मौसम में जब डैम का जलस्तर बढ़ता है तो इस क्षेत्र के गांव जलमग्न हो जाते हैं. सालों भर विस्थापितों की समस्याएं चलती रहती हैं. यह स्थिति दिन प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है. इस पर अब ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है. इसे भी पढ़ें :जमशेदपुर">https://lagatar.in/3500-applications-for-admission-in-jamshedpur-womens-university-graduate-cuet-priority-in-first-merit-list/">जमशेदपुर

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