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45 साल में पूरा नहीं हो सका परियोजना
परियोजना को आए हुए 45 साल से अधिक हो गए, लेकिन अबतक यह परियोजना पूर्ण नहीं हो पाई है. परियोजना की बात तो दूर डैम से विस्थापित हुए परिवारों को उनके विस्थापित होने का पहचान पत्र, मुआवजा व पुनार्वास तक पूरा नहीं किया जा सका है. सदन के माध्यम से उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि परियोजना के आरंभ काल से लेकर अभी तक हुए कार्यों की सीबीआई से जांच कराई जाए ताकि विस्थापितों को न्याय मिल सके. परियोजना पूर्ण हो सके और सरकार व आम नागरिकों को परियोजना का लाभ मिल सके. आम जनता जो डैम को लेकर हमेशा दहशत में रहती है, वह भी सामान्य जीवन जी सके. इसे भी पढ़ें :जमशेदपुर">https://lagatar.in/jamshedpur-as-soon-as-he-took-charge-the-dc-reviewed-the-law-and-order-of-the-district-said-negligence-in-the-discharge-of-responsibilities-will-not-be-tolerated/">जमशेदपुर: पदभार संभालते ही डीसी ने की जिले की विधि व्यवस्था की समीक्षा, कहा- दायित्व निर्वहन में कोताही नहीं होगी बर्दाश्त
सरकार को ठोस कदम उठाने की जरूरत
सांसद संजय सेठ ने सदन में कहा कि 1976 में 150 करोड़ रुपये की लागत से शुरू हुई परियोजना वर्तमान में 14 हजार करोड़ रुपये से अधिक का हो चुका है. बावजूद इसके ना तो विस्थापितों को न्याय मिल पाया ना तो यह परियोजना पूर्ण हो पाई. इस परियोजना से ना बिजली उत्पादन हो रहा है ना किसानों को सिंचाई की सुविधा मिल पा रही है. परियोजना के कारण 116 गांव के लोग पूर्ण व आंशिक रूप से विस्थापित हुआ है. इससे 19 हजार से अधिक परिवार विस्थापित हुए हैं. बरसात के मौसम में जब डैम का जलस्तर बढ़ता है तो इस क्षेत्र के गांव जलमग्न हो जाते हैं. सालों भर विस्थापितों की समस्याएं चलती रहती हैं. यह स्थिति दिन प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है. इस पर अब ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है. इसे भी पढ़ें :जमशेदपुर">https://lagatar.in/3500-applications-for-admission-in-jamshedpur-womens-university-graduate-cuet-priority-in-first-merit-list/">जमशेदपुरवीमेंस यूनिवर्सिटी : स्नातक में एडमिशन के लिए आये 3500 आवेदन, प्रथम मेधा सूची में सीयूईटी को प्राथमिकता [wpse_comments_template]
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