Chandil (Dilip Kumar) : झारखंड प्रदेश अपने अनूठे भौगोलिक स्थिति, परंपरा, रीति-रिवाज, रहन-सहन और खान-पान के लिए जाना जाता है. यहां अलग-अलग समाज के लोग एक साथ सामाजिक समरसता के साथ रहते हैं. अलग-अलग मान्यता और संस्कृति रहने के बावजूद लोग आपस में घुलमिल कर रहते हैं. यहां रहने वाले लोगों की मान्याताएं अलग-अलग है, इनके आराध्यदेव अलग-अलग है और सभी अपनी परंपरा को बखूबी निभाते भी हैं.
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एक ऐसा समुदाय जो महिषासुर के शहादत पर मनाते हैं शोक
चांडिल अनुमंडल क्षेत्र में भी कछ ऐसा ही होता है. यहां सभी लोग एक साथ सामाजिक समरसता के साथ निवास करते हैं. यहां की परंपरा और रीति-रिवाज भी अनूंठे हैं. नवरात्रि के नौ दिनों में जब सभी लोग मां दुर्गा की पूजा करते हैं, चारों ओर उल्लास का माहौल रहता है. उसी दौरान समाज का एक समुदाय ऐसा भी है जो नवरात्र के दिनों में दुख और शोक में डूबा रहता है. उस समाज के लोग मां दुर्गा की पूजा नहीं करते हैं बल्कि असुर राज महिषासुर के शहादत पर शोक मनाते हैं.
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सुनाई जाएगी आयनोम व काजोल की कथा
पारंपरिक ग्राम सभा जामदोहा व विभिन्न पारंपरिक ग्राम सभा के संयुक्त तत्वावधान में चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के ईचागढ़ प्रखंड अंतर्गत जामदोहा ज्योति पाता मंला टांड में गुरुवार को दासांय प्रवचन समारोह कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. इस अवसर पर आदिवासी समाज के वीर पुरुष शहीद हुदुड़ दुर्गा (महिषासुर) का शहादत दिवस मनाया जाएगा. साथ ही दासांय प्रवचन व दासाय नृत्य कार्यक्रम का आयोजन होगा. आदिवासी परंपरा के अनुसार हुदुड़ दुर्गा आदिवासी समाज के वीर पुरुष थे. एक साजिश व षड़यंत्र के तहत धोखे से उनकी हत्या कर दी गई.
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तब से उन्हीं के याद में प्रत्येक वर्ष आदिवासी समाज रूढ़ी प्रथा के तहत उनके बलिदान को याद करते हुए शांतिपूर्ण तरीके से उनका बलिदान दिवस को मनाते हैं. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सिंत्र दिशोम पारगाना बाबा फकीर मोहन टुडू एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में पातकोम दिशोम पारगाना बाबा रामेश्वर बेसरा के अलावा सम्मानीत अतिथि के रूप में आदिवासी समाज के पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था के प्रमुख माझी, पारगाना, मुंडा-मानकी, राजी पाड़हा, डोकलो सोहोर आदि उपस्थित रहेंगे.
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