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चांडिल : तो क्या साईंस और इंग्लिश नहीं पढ़ेंगे सुदूरवर्ती देवलटांड के विद्यार्थी ?

Chandil (Dilip Kumar) : ग्रामांचलों में शिक्षकों की कमी के कारण लगातार शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है. इसी कारण बच्चों का बौद्धिक विकास भी बेहतर नहीं हो पा रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्तर का विद्यालय हो या माध्यमिक, उच्च या प्लस टू किसी भी स्कूल में प्रर्याप्त शिक्षक नहीं है. किसी विद्यालय में अगर शिक्षक हैं भी वे अपनी पहुंच और पैरवी के बदौलत अपना प्रतिनियुक्ति शहरी क्षेत्र में करवा रहे हैं. कई बार तो विभागीय स्तर पर ही ग्रामीण क्षेत्र में पदस्थापित शिक्षकों को शहरी क्षेत्र में प्रतिनियुक्ति पर भेजा जाता है. यही कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों में पठन-पाठन की स्थिति संतोष जनक नहीं है. इसे भी पढ़ें :बहरागोड़ा">https://lagatar.in/bahragoda-kanwariyas-performed-jalabhishek-in-the-mythological-shiva-temple-chitreshwar/">बहरागोड़ा

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देवलटांड में नहीं है साईंस और इंग्लिश के शिक्षक

[caption id="attachment_709261" align="aligncenter" width="600"]https://lagatar.in/wp-content/uploads/2023/07/chandil-dewal-tar-2-1.jpg"

alt="" width="600" height="400" /> आईसीटी लैब में पढ़ते विद्यार्थी.[/caption] ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र में शिक्षा के मामले में एक मुकाम हासिल करने वाले देवलटांड गांव में वर्तमान में साईंस और इंग्लिश विषय के शिक्षक नहीं है. दोनों विषयों के शिक्षक की पदस्थापना गांव के स्कूल में हुई है, लेकिन दोनों विषयों के कुल तीन शिक्षकों को विभागीय स्तर से प्रतिनियुक्ति पर शहरी क्षेत्र के स्कूलों में भेजा जा रहा है. अपर प्राईमारी में पदस्थापित साईंस शिक्षक को गम्हरिया डायट में प्रतिनियुक्त किया गया है. वहीं उच्च विद्यालय के साईंस शिक्षक दीपांकर चक्रवर्ती और इंग्लिश शिक्षिका रेनु कुमारी को सरायकेला स्थित मुख्यमंत्री उत्कृष्ट विद्यालय में प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया है. बताया जाता है कि प्रतिनियुक्त शिक्षक आदित्यपुर क्षेत्र के रहने वाले है. अब बगैर साईंस और इंग्लिश शिक्षक के ही बच्चे उत्कृष्ट शिक्षा हासिल कर अपने गांव व राज्य का नाम रौशन कर अपना भविष्य सवांरेंगे. इसे भी पढ़ें :सरायकेला">https://lagatar.in/seraikela-hiva-driver-shot-dead-police-engaged-in-investigation/">सरायकेला

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ग्रामीणों में आक्रोश, उपायुक्त से मिलेंगे

गांव के स्कूल से महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षकों को प्रतिनियुक्ति पर भेजे जाने के कारण देवलटांड के ग्रामीणों में आक्रोश है. ग्रामीण अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य को अंधकारमय होता देखकर अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं. प्लस टू स्तर तक साईंस का शिक्षक नहीं रहने से बच्चे क्या और कैसे पढ़ेंगे. इसे लेकर ग्रामीणों का एक प्रतिनिधिमंडल जिले के उपायुक्त से मिलकर मामले में हस्तक्षेप करते हुए शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति रोकनी की मांग करेगा. ग्रामीणों ने बताया कि उच्च विद्यालय में उत्क्रमित होने के बाद स्कूल का परीक्षाफल शत प्रतिशत रहा है. गांव में शिक्षा का स्तर संतोषजनक है, शिक्षकों को स्कूल से हटाने से शिक्षा का स्तर गिरने का डर है. इससे गांव में शिक्षा का माहौल बिगड़ सकता है. इसे भी पढ़ें :सरायकेला">https://lagatar.in/seraikela-hiva-driver-shot-dead-police-engaged-in-investigation/">सरायकेला

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शहरी क्षेत्रों में रहकर सेवा देना चाहते हैं शिक्षक

देवलटांड में प्राथमिक स्तर से प्लस टू तक की पढ़ाई हो रही है. पहली से 12वीं तक पढ़ने वाले बच्चों का कुल संख्या 561 है. विद्यालय में प्राईमारी स्तर पर एक, अपर प्राईमारी में तीन और उच्च व प्लस टू में कुल सात शिक्षक पदस्थापित हैं. इनमें प्रधानाध्यापक नहीं हैं. कुल 12 शिक्षकों में फिलहाल तीन को प्रतिनियुक्ति पर दूसरे स्कूलों में भेजा गया है. देवलटांड गांव को छोड़कर पूरे क्षेत्र की बात करें तो अधिकांश स्कूलों में संविदा शिक्षकों से ही कक्षाओं का कोरम पूरा कराया जाता है. बताया जाता है कि शिक्षक शहरी क्षेत्रों में रहकर अपनी सेवाएं देना चाहते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में पदस्थापना को लेकर शिक्षकों में उत्साह नहीं है. बच्चों को शहरी शिक्षा देने के कारण भी शिक्षक ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पदस्थापना नहीं कराना चाहते हैं. इसे भी पढ़ें :किरीबुरु">https://lagatar.in/kiriburu-elephants-created-havoc-for-three-and-a-half-hours-many-vehicles-stood-on-the-roads/">किरीबुरु

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