Chandil (Dilip Kumar) : चांडिल और आसपास के क्षेत्र में गुरुवार को दिनभर हुई बारिश के कारण डैम का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा
है. शुक्रवार की सुबह डैम का जलस्तर 181.70 मीटर पर पहुंच गया
था. जिसके बाद डैम के खुले दोनों रेडियल गेटों को एक-एक मीटर तक बढ़ा दिया
गया. जलस्तर के घटने के बजाय बढ़ते रहने के कारण करीब साढ़े दस बजे डैम का तीसरा
रिडियल गेट भी एक मीटर तक खोल दिया
गया. इसके पूर्व 13 अगस्त को एक गेट को 30 सेंटीमीटर और 17 अगस्त को दूसरा गेट 20 सेंटीमीटर तक खोला गया
था. बारिश के कारण गुरुवार शाम से ही डैम का जलस्तर बढ़ना शुरू हो गया
था. शुक्रवार सुबह तक तेजी से जलस्तर बढ़ता देखकर परियोजना प्रशासन ने तीसरा गेट खोलने का निर्णय
लिया. तीन गेटों को एक-एक मीटर तक खोलने के बाद सुबह साढ़े दस बजे से डैम का जलस्तर स्थिर बताया जा रहा
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: दिल्ली में आयोजित होने वाले धरना प्रदर्शन में शामिल होंगे आदिवासी कल्याण केन्द्र के लोग ईचागढ़ गांव में घुसा पानी
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alt="" width="600" height="400" /> जलमग्न ईचागढ़ गांव की सड़क.[/caption] चांडिल डैम का जलस्तर बढ़ने के बाद ईचागढ़ गांव में पानी घुस गया
है. फिलहाल गांव की
सड़कें जलमग्न है और डैम का पानी बढ़ा तो लोगों के घरों में भी पानी घुस
जाएगा. तीन रेडियल गेट खोले जाने के बाद डैम का जलस्तर स्थिर
है. जिसके बाद विस्थापित राहत की सांस ले रहे
हैं. वहीं झमाझम बारिश ने चांडिल डैम के विस्थापितों को उदास कर दिया
है. हर साल की तरह इस साल भी बारिश ने फिर एकबार विस्थापितों की चिंता
बढ़ा दी
है. दरअसल, जब भी भारी बारिश होती हैं तो चांडिल डैम का जलस्तर
बढ़ने लगता
है. विस्थापितों के घरों में पानी घुसने पर लोगों को मजबूरन दूसरे स्थानों में
आश्रय लेना
पड़ता है. झमाझम बारिश के बाद चांडिल डैम के जलस्तर में लगातार
बढ़ोतरी हो रही
है. विस्थापितों को यह डर सता रही है कि डैम का जलस्तर अचानक न बढ़ जाए और उनका गांव एकबार फिर से जलमग्न ना हो
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: टिनप्लेट वर्कर्स यूनियन में देविका सिंह हुईं सम्मानित 16 जून से चल रहा विस्थापितों का आंदोलन
अखिल झारखंड विस्थापित अधिकार मंच के बैनर तले 116 गांव के विस्थापित चांडिल पुनर्वास कार्यालय के समक्ष 16 जून से अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे
हैं. इसके अलावा समय-समय पर कार्यालयों के घेराव कार्यक्रम भी चल रहा
है. विस्थापितों की मांग है कि जबतक बकायेदारों का मुआवजा राशि भुगतान पूरा नहीं हो जाता है और सभी विस्थापितों को संपूर्ण पुनर्वास की सुविधा नहीं मिलता है,
तबतक डैम का जलस्तर 177 मीटर ही रखा
जाए. डैम का जलस्तर
बढ़ने के कारण हर साल विस्थापितों के घर, खेत, खलिहान डूब जाते
है. जान माल की क्षति होती
है. विस्थापितों ने कहा कि यदि डैम का जलस्तर
बढ़ाया जाएगा तो सुवर्णरेखा
बहुउद्देश्यीय परियोजना के मुख्य अभियंता कार्यालय का घेराव किया
जाएगा. [wpse_comments_template]
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