Dilip Kumar
Chandil (Seraikela-Kharsawan) : झारखंड के डीजीपी एक्शन मोड पर हैं. पुलिस की छवि सुधारने और आम लोगों को परेशानी से बचाने के लिए उन्होंने कई कारगर कदम उठाकर अपने मातहत अधिकारियों को काम करने की नसीहत दी है. इसी क्रम में एक मामले में सीआईडी रिपोर्ट में दोषी पाए जाने के बाद उन्होंने चांडिल के थानेदार को निलंबित भी कर दिया है. हालांकि चांडिल थानेदार को निलंबित किए जाने की सूचना के बाद क्षेत्र में चर्चा का बाजार जोरों पर है. चर्चा इस बात की भी है कि डीजीपी साहब क्षेत्र में खुलेआम चल रहे गैर कानूनी धंधों पर आखिर लगाम लगाने के लिए कब से कार्रवाई प्रारंभ करेंगे. लोगों का कहना है कि डीजीपी साहब एनएच के किनारे चल रहे गैरकानूनी धंधों को रोकने के लिए भी आवश्यक कार्रवाई करें.
अवैध कारोबार का गढ़ बनता जा रहा क्षेत्र
ग्रामीणों ने बताया कि सरायकेला-खरसावां जिले के चौका और ईचागढ़ थाना क्षेत्र इन दिनों अवैध कारोबार का गढ़ बना हुआ है. एनएच 33 के किनारे गैरकानूनी रूप से छड़, पाईप, सीमेंट, कोयला, लौह आयस्क, स्पंज आयरन समेत कई सामग्रियों की गैरकानूनी रूप से कटिंग करने का धंधा हो या मादक पदार्थ व बालू का कारोबार. काले कारनामों से धन कमाने की धंधेबाजों की ललक देखकर आम लोग आश्चर्य में हैं. खुलेआम हो रहे गैरकानूनी धंधा देखकर लोग अब कहने लगे कि शायद अब यहां कानून का राज नहीं रहा. जगह-जगह बने अड्डों के कारण पूरा क्षेत्र अवैध कारोबारों का हब बनता जा रहा है. बताया जा रहा है कि रात के वक्त जब पुलिस का पहरा अधिक रहता है, पुलिस सक्रियता और सजगता के साथ क्षेत्र की निगरानी करती है, तब अवैध कारोबारों को अधिक अंजाम दिया जाता है.
यहां कदम-कदम पर अवैध डीपो
ईचागढ़ और चौका थाना क्षेत्र में सड़क के किनारे कदम-कदम पर अवैध कारोबार का डीपो मौजूद है. ग्रामीण बताते हैं कि इस डीपो में कानून से बेखौफ होकर गोरखधंधा करने वाले दिन के उजाले में भी अवैध कारोबारों को अंजाम दे रहे हैं. सूत्रों की माने तो एनएच 33 के किनारे स्थित होटल की आड़ में, जंगल-झाड़ियों के पीछे और बड़े-बड़े चारदीवारी के अंदर अवैध कारोबार संचालित किए जा रहे हैं. ग्रामीण बताते हैं कि दिन पर दिन गैरकानूनी कारोबार करने वालों की संख्या अमरबेल की तरह बढ़ती जा रही है. इनकी निरंतर बढ़ती संख्या पर क्षेत्र के राजनीतिक दलों के नेता, प्रबुद्ध जन और तथाकथित समाजसेवी कुछ बोलने से कतराते हैं. वहीं वोट बैंक असंतुलन के भय से जनप्रतिनिधि भी इस मामले में चुप्पी साधे रहते हैं.
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