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आरएसएस में बदलाव, भैयाजी जोशी की जगह दत्तात्रेय होसबाले चुने गये सरकार्यवाह

 Bengaluru :  बेंगलुरु में आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में सरकार्यवाह पद के लिए दत्तात्रेय होसबाले चुने गये हैं. वे 2009 से सह सरकार्यवाह का दायित्व का निर्वाह कर रहे थे. चुनाव बेंगलुरु के चेन्नहल्ली स्थित जनसेवा विद्या केंद्र में चल रही प्रतिनिधि सभा में आज शनिवार को हुआ. वे भैयाजी जोशी  की जगह लेंगे. Download Amar Ujala App for Breaking News in Hindi & Live Updates. https://www.amarujala.com/channels/downloads?tm_source=text_share

बता दें कि आरएसएस के सरकार्यवाह का कार्यकाल तीन साल का होता है.  सर कार्यवाह ही वह व्यक्ति होता है, जो संघ से जुड़े व्यवहारिक और सैद्धांतिक विषयों पर निर्णय लेता है. उसकी अपनी एक टीम होती है, जिसे केंद्रीय कार्यकारिणी कहा जाता है.  भैयाजी जोशी पिछले चार बार से इस पद पर चुने जाते रहे हैं. जान लें कि आरएसएस में सबसे महत्वपूर्ण पद सरसंघचालक का होता है. वर्तमान में मोहन भागवत इस पद पर आसीन हैं. इसे भी पढ़ें : खड़गपुर">https://lagatar.in/in-kharagpur-pm-modi-said-give-opportunity-for-five-years-will-remove-70-years-of-waste/39917/">खड़गपुर

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हर तीन वर्ष पर जिला स्तर से शुरू होती है प्रक्रिया

आरएसएस सूत्रों के अनुसार प्रत्येक तीन वर्ष पर आरएसएस में चुनावी प्रक्रिया की शुरुआत जिला स्तर पर होती  है. इस क्रम में पहले जिला व महानगर संघचालक का चुनाव होता है. इसके बाद  संघचालक और फिर प्रांत संघचालक   चुने जाते  है.  चुनाव के बाद  निर्वाचित अधिकारी अपनी नया टीम बनाते हैं.  उसके बाद अखिल भारतीय स्तर पर प्रतिनिधि सभा की बैठक में सरकार्यवाह का चुनाव किया जाता है. साथ ही  उसी बैठक में क्षेत्र संघचालक  भी चुने जाते  है. प्रतिनिधि सभा की दो दिवसीय  बैठक में दूसरे दिन सरकार्यवाह का चुनाव होता है. इससे पहले अंतिम दिन सरकार्यवाह साल भर के कार्य का लेखाजोखा पेश करते हैं. उसके बाद घोषणा करते हैं कि मैंने अपने तीन वर्षों का कार्यकाल पूरा कर लिया. अब आप लोग जिस अन्य व्यक्ति को चाहें इस दायित्व के लिए चुन सकते हैं.  फिर वे मंच से उतरकर सामने आकर सभी लोगों के साथ बैठ जाते हैं।.उस समय मंच पर केवल सरसंघचालक बैठे रहते हैं. इसे भी पढ़ें : माफ">https://lagatar.in/sorry-honorable-officers-do-not-listen-to-you-because-you-see-the-weight-of-their-caste-religion-and-wallet-and-decide-how-it-is/39889/">माफ

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1400 प्रतिनिधि सर्वसम्मति से तय करते हैं सरकार्यवाह की जिम्मेदारी

संघ में किसे सरकार्यवाह की जिम्मेदारी मिलेगी, यह देश के सभी प्रांतों के करीब 1400 प्रतिनिधि सर्वसम्मति से तय करते हैं. प्रतिनिधि सभा में भाग लेने के लिए देश के सभी राज्यों में केंद्रीय प्रतिनिधि का चुनाव होता है. सभी राज्यों में 50 सक्रिय व प्रतिज्ञाधारी स्वयंसेवक पर एक प्रांतीय प्रतिनिधि चुने जाते हैं। फिर 40 प्रांतीय प्रतिनिधि पर एक केंद्रीय प्रतिनिधि चुने जाते हैं. इसे भी पढ़ें :  तृणमूल">https://lagatar.in/parliamentary-standing-committee-headed-by-trinamool-leader-said-the-government-should-implement-one-of-the-three-agricultural-laws/39881/">तृणमूल

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सरकार्यवाह के नाम का मांगा जाता है प्रस्ताव

सरकार्यवाह के चुनाव के लिए एक चुनाव पदाधिकारी और एक पर्यवेक्षक को पहले से ही तय कर दिया जाता है. चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद चुनाव पदाधिकारी इस प्रक्रिया में शामिल लोगों से सरकार्यवाह के नाम का प्रस्ताव मांगते हैं.  कोई व्यक्ति खड़ा होकर नाम की घोषणा करता है.  दूसरा उसका अनुमोदन कर देता है.  इसके बाद सर्वसम्मति से सरकार्यवाह के लिए उस नाम की घोषणा चुनाव पदाधिकारी की ओर से की जाती है.

सर संघचालक चुनता है  उत्तराधिकारी

संगठन के अंतिम निर्णय सरसंघचालक ही करता है ,लेकिन यह एक तरीके से मार्गदर्शक का पद होता है. सरसंघचालक अपना उत्तराधिकारी स्वयं चुनता है. संगठन के नियमित कार्यों के संचालन की जिम्मेदारी सरकार्यवाह की होती है. इसे महासचिव के तौर पर भी समझा जा सकता है

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