New Delhi : जॉर्जिया के बटुमी में खत्म हुई चेस वर्ल्ड कप में जीतने वाली 19 साल की दिव्या देशमुख का नागपुर पहुंचने पर स्वागत किया गया. बुधवार को जब वे अपने गृहनगर नागपुर लौटीं, तो हवाई अड्डे पर उनके रिश्तेदारों और प्रशंसकों ने उनका भव्य स्वागत किया.
दिव्या ने इस टूर्नामेंट में भारत की अनुभवी खिलाड़ी कोनेरू हम्पी को टाई-ब्रेकर में हराकर यह खिताब अपने नाम किया. दोनों खिलाड़ियों के बीच दो क्लासिकल गेम ड्रॉ रहे थे, जिसके बाद टाई-ब्रेकर में दिव्या ने जीत हासिल की.
इस जीत ने दिव्या को ग्रैंडमास्टर (जीएम) का खिताब दिलाया, साथ ही उन्हें कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में जगह और 50,000 अमेरिकी डॉलर (लगभग 42 लाख रुपये) की पुरस्कार राशि भी मिली. दिव्या ने टूर्नामेंट में अंडरडॉग के रूप में हिस्सा लिया था और उनका लक्ष्य केवल जीएम-नॉर्म हासिल करना था, लेकिन उन्होंने सभी को चौंकाते हुए खिताब अपने नाम कर लिया.
दिव्या अपनी मां के साथ बटुमी से मुंबई होते हुए नागपुर पहुंचीं. हवाई अड्डे पर उनके प्रशंसक और रिश्तेदार पहले से ही उनके स्वागत के लिए मौजूद थे. दिव्या ने स्वागत पर खुशी जताते हुए कहा कि मुझे बहुत खुशी हो रही है कि इतने सारे लोग मेरा स्वागत करने आए हैं. शतरंज को इतना सम्मान मिल रहा है, यह मेरे लिए गर्व की बात है.
दिव्या ने अपनी इस उपलब्धि का श्रेय अपने परिवार और अपने पहले कोच राहुल जोशी को दिया, जिनका 2020 में 40 साल की उम्र में निधन हो गया था. उन्होंने कहा कि मेरे माता-पिता ने मेरे करियर में सबसे बड़ा योगदान दिया है.
उनके बिना मैं यहां तक नहीं पहुंच पाती. मेरी बहन आर्या देशमुख, मेरे दादा-दादी, और मेरे पहले कोच राहुल जोशी सर का भी बहुत बड़ा हाथ है. राहुल सर हमेशा चाहते थे कि मैं ग्रैंडमास्टर बनूं, और यह जीत उनके लिए है. दिव्या ने ग्रैंडमास्टर अभिजीत कुंटे को भी अपनी सफलता का भागीदार बताया. उन्होंने कहा कि अभिजीत सर मेरे लिए लकी चार्म हैं. जब भी वे मेरे साथ होते हैं, मैं ट्रॉफी जीतती हूं.
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