Ranchi : लोक आस्था और सूर्य उपासना का महापर्व चैती छठ आज, 1 अप्रैल से नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया. चार दिनों तक चलने वाला यह पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से आरंभ होता है और श्रद्धालु पूरे नियम-कायदे के साथ इस व्रत का पालन करते हैं.
नहाय-खाय का विशेष महत्व
छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जिसे शुद्धता और आत्मसंयम का प्रतीक माना जाता है. इस दिन व्रती पवित्र स्नान करके सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं और इसके बाद ही छठ महापर्व का कठिन व्रत शुरू होता है. इसी दिन ठेकुआ (छठ का विशेष प्रसाद) के लिए गेहूं धोकर सुखाया जाता है. शुद्धता और सफाई का रखा जाता विशेष ध्यान
छठ पूजा में शुद्धता और सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है. नहाय-खाय के दिन से ही घर में लहसुन और प्याज का उपयोग बंद हो जाता है. इस दिन भोजन मिट्टी या आम की लकड़ी के चूल्हे पर पकाया जाता है, जिसमें अरवा चावल, चने की दाल और कद्दू (लौकी) की सब्जी बनाई जाती है. खाना बनाने में घी और सेंधा नमक का ही प्रयोग किया जाता है. इस दिन सूर्य भगवान को भोग अर्पित करने के बाद व्रती भोजन ग्रहण करते हैं, जिसे बाद में पूरे परिवार को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है. लौकी और चने की दाल बनाने के पीछे का महत्व
नहाय-खाय के दिन विशेष रूप से लौकी की सब्जी बनाई जाती है, जिसे **शुद्ध और पवित्र माना जाता है. लौकी में 96% पानी होने के कारण यह शरीर को हाइड्रेट रखता है और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है. इसी तरह, चने की दाल को सबसे शुद्ध माना गया है, जिससे शरीर को ऊर्जा मिलती है. छठ पर्व में व्रती बिस्तर की बजाय जमीन पर सोते हैं और कठिन तपस्या के रूप में चार दिनों तक नियमों का पालन करते हैं. इस आस्था के महापर्व में श्रद्धालु पूरी श्रद्धा के साथ सूर्य भगवान की पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना करते हैं.
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