धनबाद : 8 नवंबर को नहाय-खाय के साथ ही चार दिवसीय छठ महापर्व की शुरूआत हो चुकी है. दूसरे दिन 9 नवंबर को व्रती महिलाएं खऱना मना रही हैं। खऱना के दिन विशेष तौर पर बना प्रसाद व्रती सायंकाल सूर्य भगवान व छठ मां की पूजा के बाद ग्रहण करेंगी तथा दो दिवसीय निर्जला उपवास शुरू कर देंगी. खरना कार्तिक शुक्ल पंचमी तिथि को पड़ा है. खरना का मतलब होता है शुद्धिकरण. छठ व्रत बहुत कठिन माना जाता है. इस पर्व को करने में शुरू से आखिरी दिनों तक पूरी पवित्रता का पालन करना पड़ता है. खरना के दिन व्रती सायंकाल शुद्ध मन से सूर्य देव और छठ मां की पूजा कर गुड़ के खीर का भोग लगाती हैं. खरना का प्रसाद नए चूल्हे पर बनाया जाता है. व्रती साठी के चावल और गुड़ के खीर का प्रसाद खुद तैयार करती हैं. खरना के दिन व्रती महिलाएं सिर्फ एक ही समय भोजन करती हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से शरीर से लेकर मन शुद्ध हो जाता है. इस दिन छठ व्रती महिलाएं सुबह स्नान कर साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर नाक से मांग तक सिंदूर लगाती हैं. यह भी पढ़ें : सिटी">https://lagatar.in/city-sp-inspected-kadma-police-station-searched-records-for-four-hours/">सिटी
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छठ महापर्व : खरना शुरू, व्रती महिलाएं सायंकाल करेंगी पूजा

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