Ranchi : बहुबाजार स्थित संत मार्गरेट यूपी कन्या पाठशाला में सोमवार को संत मार्गरेट की स्मृति में एक रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस अवसर पर बच्चों ने अपनी प्रतिभा से समां बांध दिया और दर्शकों का मन मोह लिया.कार्यक्रम का शुभारंभ केजी वर्ग के नन्हे-मुन्ने बच्चों द्वारा प्रस्तुत स्वागत गीत "प्रभु संसार में आया.. से हुआ, जिसने पूरे वातावरण को भक्तिभाव से सराबोर कर दिया.कार्यक्रम की मुख्य अतिथि विद्यालय की पूर्व छात्रा डेजी होरो रहीं. विशिष्ट अतिथि के रूप में रेव. विकास पादरी, रेव. ग्लोरिया डहंगा, स्कूल की प्राचार्य एडित लकड़ा, सीएनआई चर्च से मंजुलिका तिर्की, प्रदीप कुजूर, एन. मरांडी एवं सुदर्शन हेमरोम उपस्थित थे.
हर छात्रा को चरित्रवान बनना है – डेजी होरो
मुख्य अतिथि डेजी होरो ने अपने प्रेरणादायक उद्बोधन में कहा कि संत मार्गरेट सत्य, प्रेम और पवित्रता की प्रतिमूर्ति थीं. उनका जीवन इन मूल्यों का जीवंत उदाहरण था, जिन्हें हमें अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए. उन्होंने कहा कि विद्यालय केवल शैक्षणिक संस्था नहीं है, बल्कि यह संत मार्गरेट के आदर्शों और संस्कारों को बच्चों तक पहुंचाने का माध्यम है.
डेजी होरो ने कहा कि यहां पढ़ने वाली हर छात्रा को मोती की तरह चमकदार और चरित्रवान बनना है. संत मार्गरेट की जीवनी से अनुशासन, सेवा और समर्पण जैसे गुण सीखकर छात्राएं भविष्य में उच्च पदों तक पहुंच सकती हैं. उन्होंने विश्वास जताया कि संत मार्गरेट का पवित्र जीवन आज भी छात्राओं के लिए प्रेरणास्रोत बना हुआ है.
रंग-बिरंगी प्रस्तुतियों से बच्चों ने मंच को किया जीवंत
कक्षा 4 के विद्यार्थियों ने जो ये सच है कि भगवान है. गीत के माध्यम से प्रभु यीशु मसीह के प्रति अपनी आस्था व्यक्त की. इसके बाद प्रस्तुत किए गए यीशु मसीह के जीवन पर आधारित नाटक ने दर्शकों को भावुक कर दिया. नाटक में उनके जीवन संदेश को अत्यंत प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया.कार्यक्रम की अगली कड़ी में कक्षा 5 और 6 के विद्यार्थियों ने एक के बाद एक मनमोहक सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. कार्यक्रम में नागपुरी गीत, संथाली नृत्य, डांडिया, कव्वाली, एकल गीत एवं सामूहिक नृत्य शामिल थे. बच्चों ने मंच को उत्सव के रंगों से भर दिया.दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ बच्चों का उत्साहवर्धन किया और कार्यक्रम को खूब सराहा. यह आयोजन न केवल मनोरंजन से भरपूर रहा, बल्कि बच्चों के व्यक्तित्व और मूल्यों के विकास का भी माध्यम बना.
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