मध्यावधि चुनाव में उतरने के फैसले से चीन को करारा आघात लगा है
पुष्प कमल दहल के निकटस्थ सूत्रों के अनुसार लगभग 30 मिनट तक चली मुलाकात के क्रम में प्रचंड और चीनी राजदूत ने वर्तमान राजनीतिक हालातों पर मंथन किया. इस संबंध में प्रचंड के करीबी नेता बिष्णु रिजल ने ट्वीट कर कहा कि इस मुलाकात में द्विपक्षीय चिंता के मुद्दों पर चर्चा की गयी. सूत्रों के अनुसार नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली द्वारा मध्यावधि चुनाव में उतरने के फैसले से चीन को करारा आघात लगा है. जान लें कि ओली के कंधे पर बंदूक रखकर चीन भारत पर निशाना साधता रहा था. इसे भी पढ़ें : ">https://lagatar.in/at-centenary-celebrations-of-vishwabharati-pm-said-generations-of-bengal-expended-themselves-to-protect-indias-self-respect/12087/">विश्वभारती के शताब्दी समारोह में पीएम ने कहा, बंगाल की पीढ़ियों ने भारत के आत्मसम्मान की रक्षा के लिए खुद को खपा दिया
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी दो गुटों में बंट गयी है
अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट की मानें तो पीएम ओली के इस फैसले के बाद अब नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में ऐसा गुट आगे आ सकता है जो चीन का कम समर्थन करता है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी दो गुटों में बंट गयी है, जो चुनाव से पहले दो भागों में टूट सकती हैय. बता दें कि नेपाल में अप्रैल में मध्यावधि चुनाव संभावित हैं. चीन को डर हे कि चुनाव में नेपाली कांग्रेस सत्ता में आ सकती है. जान लें कि नेपाली कांग्रेस के लंबे समय से भारत के साथ अच्छे रिश्ते हैं. इसे भी पढ़ें : नये">https://lagatar.in/rahul-gandhi-who-met-the-president-in-protest-against-the-new-agricultural-laws-fired-on-the-pm-said-modi-can-also-call-rss-bhagwat-a-terrorist/12076/">नयेकृषि कानूनों के विरोध में राष्ट्रपति से मिले राहुल गांधी, पीएम पर भड़ास निकाली, कहा, आरएसएस के भागवत को भी आतंकी करार दे सकते हैं मोदी