NewDelhi : जब भी कोई राजनीतिक दल सत्ता में आता है तो कुछ पुलिस अधिकारी उसके लिए काम करने लगते हैं. फिर जब दूसरी राजनीतिक पार्टी सत्ता में आती है तो पहले वाले पुलिस अफसरों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी जाती है. उन पर राजद्रोह जैसे गंभीर आरोप तक चस्पां कर दिये जाते हैं. यह नया और परेशान कर देने वाला चलन है. इसे रोकना जरूरी है. यह बात देश के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कही है. उन्होंने इसे दुखद स्थिति करार दिया है.
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IPS गुरजिंदर पाल सिंह पर राजद्रोह का आरोप है
जान लें कि सीजेआई की अध्यक्षता वाली बेंच ने गुरुवार को भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अधिकारी गुरजिंदर पाल सिंह की याचिका पर सुनवाई की. इसी क्रम में सीजेआई रमना ने यह तल्ख टिप्पणी की. गुरजिंदर पाल सिंह पर अवैध संपत्ति बनाने सहित राजद्रोह का भी आरोप है. गुरजिंदर पाल सिंह वर्तमान में निलंबित हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने गुरजिंदर को राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर चार सप्ताह की रोक लगा दी. साथ ही उन्हें पुलिस जांच में सहयोग करने का निर्देश भी दिया. साथ ही SC ने इस मामले में राज्य सरकार को नोटिस जारी कर उससे जवाब दाखिल करने को कहा है.
जान लें कि इससे पूर्व छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने गुरजिंदर पाल के खिलाफ दर्ज राजद्रोह का मामला रद्द करने से इंकार कर दिया था. इस आदेश को चुनौती देते हुए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की थी.
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बेंच ने कहा कि हम राजद्रोह के मामले पर भी विचार करेंगे
बेंच ने कहा कि हम राजद्रोह के मामले पर भी विचार करेंगे. यह बहुत ही दुखद चलन है. इसके लिए पुलिस विभाग भी दोषी है. आप (बचाव पक्ष) ये मत कहिए कि आपके मुवक्किल पाक-साफ हैं. आपके मुवक्किल ने जरूर तत्कालीन सरकार के निर्देशों पर कार्रवाई की होगी. गुरजिंदर पाल सिंह 1994 बैच के IPS अफसर हैं. वे भाजपा सरकार के समय कई बड़े पदों पर रहे हैं.
लेकिन राज्य में कांग्रेस की सरकार बनते ही पहले उनके खिलाफ आय से अधिक की संपत्ति का मामला दर्ज किया गया. एसीबी और ईओडब्ल्यू इस मामले की जांच कर रही है. इस क्रम में दूसरा मामला राजद्रोह का दर्ज किया गया. आरोप है कि वे मौजूदा सरकार के खिलाफ कथित षड्यंत्र में शामिल थे. उन्हें पांच जुलाई को निलंबित कर दिया गया था.