- सीएम हेमंत का तीखा राजनीतिक संदेश
- जातीय जनगणना की मांग में झारखंड की भूमिका अहम
Ranchi : केंद्र से जातीय जनगणना को मंजूरी मिलने के बाद झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पुरानी यादें ताजा करते हुए एक तीखा राजनीतिक संदेश दिया है. उन्होंने 27 सितंबर 2021 की एक अखबार की कटिंग साझा कर उस समय की पहल की याद दिलाई, जब झारखंड सरकार ने केंद्र से जातिगत जनगणना की मांग की थी.
अब क्या है सीएम सोरेन का संदेश?
केंद्र सरकार द्वारा जातीय जनगणना को मंजूरी देने के बाद सीएम सोरेन ने ट्वीट करते हुए कहा कि देर से आए, लेकिन आना पड़ा. इससे यह समझा जा सकता है कि उनकी सरकार और झारखंड ने इस ऐतिहासिक फैसले की दिशा पहले ही तय कर दी थी.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सीएम सोरेन का यह बयान सिर्फ खुशी जाहिर करना नहीं है, बल्कि यह भी दिखाता है कि इस फैसले में उनकी सरकार की पहल और दबाव ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
क्या था पुराना मामला?
2021 में मुख्यमंत्री सोरेन के नेतृत्व में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर जातीय जनगणना की मांग को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी के नाम ज्ञापन सौंपा था. उस समय केंद्र सरकार ने तकनीकी जटिलताओं का हवाला देते हुए इस पर सहमति नहीं दी थी.