Lucknow : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि किसी भी आक्रांता का महिमामंडन नहीं किया जाना चाहिए. आक्रांता का महिमामंडन करने वाले देशद्रोही हैं. स्वतंत्र भारत ऐसे किसी भी देशद्रोही को स्वीकार नहीं कर सकता जो भारत के महापुरुषों का अपमान करता हो, उन आक्रांताओं का महिमामंडन करता हो. योगी आदित्यनाथ आज गुरुवार को उत्तर प्रदेश के बहराइच में बोल रहे थे. मुख्यमंत्री ने कहा, आज का नया भारत इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है. हम पूरे गौरव के साथ विरासत को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं, हमारा गौरव विरासत से जुड़ता है, विरासत विकास से जुड़ती है.
#WATCH | Bahraich: Uttar Pradesh CM Yogi Adityanath says, “…No invader should be glorified. Glorifying the invader means strengthening the foundation of treason and independent India cannot accept any such traitor who insults the great men of India, glorifies those invaders.… pic.twitter.com/WiHTyXDlP1
— ANI (@ANI) March 20, 2025
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योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के संभल जिले में सैकड़ों साल पुरानी परंपरा नेजा मेले पर रोक लगाये जाने के संदर्भ में बोल रहे थे. बता दें कि मेला सैयद सालार मसूद गाजी के नाम पर आयोजित किया जाता था.
नेजा मेला कमेटी के लोग एसएसपी श्रीशचंद्र के पास इजाजत मांगने गये थे, लेकिन उन्होंने इसे नकार दिया. नसीहत दी कि सोमनाथ मंदिर को लूटने वाले, भारत में लूटमार और कत्लेआम मचाने वाले शख्स की याद में किसी भी हाल में इस तरह के मेले का आयोजन नहीं किया जाएगा. सैयद सालार मसूद गाजी विदेशी आक्रांता महमूद गजनवी का भांजा और सेनापति हुआ करता था.
आज पूरी दुनिया भारत की सनातन संस्कृति और परंपरा का गुणगान कर रही है
योगी आदित्यनाथ ने कहा, आज पूरी दुनिया भारत की सनातन संस्कृति और परंपरा का गुणगान कर रही है तब भारत के महापुरुषों के प्रति श्रद्धा और सम्मान का भाव हर नागरिक का दायित्व होना चाहिए.कहा कि जिन्होंने भारत की सनातन संस्कृति को रौंदने का कार्य किया था, बेटियों की इज्जत पर हाथ डालने और हमारी आस्था पर प्रहार किया था, उसे आज का यह नया भारत स्वीकार करने को कतई तैयार नहीं है.
बहराइच भारत की ऋषि परंपरा से जुड़ा हुआ जनपद है
अपनी बात रखते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बहराइच भारत की ऋषि परंपरा से जुड़ा हुआ जनपद है. कहते हैं कि महर्षि बालार्क का एक विश्व प्रसिद्ध आश्रम इसी बहराइच में था. बहराइच की पहचान और नाम उन्हीं बालार्क ऋषि के नाम पर था. यह बहराइच वही ऐतिहासिक भूमि है जहां पर एक विदेशी आक्रांता को धूल धूसरित करते हुए महाराजा सुहेलदेव ने भारत की विजय पताका फहरायी थी.