Lagatar Desk : बॉलीवुड की जानी-मानी गायिका और अभिनेत्री सुलक्षणा पंडित का गुरुवार की रात निधन हो गया. 71 साल की सुलक्षणा ने मुंबई के नानावटी अस्पताल में अंतिम सांस ली. उनके भाई और मशहूर संगीतकार ललित पंडित के मुताबिक, उन्हें कार्डियक अरेस्ट आया था.
सुलक्षणना का अंतिम संस्कार आज 7 नवंबर की दोपहर किया जाएगा. उनके निधन की खबर के बाद हिंदी फिल्म और संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई है. कई दिग्गज कलाकारों और संगीतकारों ने सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि दी है.
संगीत से बचपन से जुड़ा रिश्ता
1954 में जन्मीं सुलक्षणा पंडित का ताल्लुक एक प्रतिष्ठित संगीत परिवार से था. उनके चाचा पंडित जसराज भारतीय शास्त्रीय संगीत के महान नामों में से एक थे. सुलक्षणा के भाई जतीन और ललित हिंदी सिनेमा की मशहूर संगीतकार जोड़ी रहे हैं. जबकि उनकी बहन विजेता पंडित भी एक जानी-मानी एक्ट्रेस हैं.
सुलक्षणा ने महज नौ साल की उम्र में गायन की शुरुआत की थी और 1967 में लता मंगेशकर के साथ फिल्म तकदीर का गाना सात समंदर पार गाकर सभी का ध्यान खींचा. 1975 में फिल्म संकल्प के गाने तू ही सागर है, तू ही किनारा के लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर अवॉर्ड मिला था.
कई भाषाओं में दी अपनी मधुर आवाज
सुलक्षणा पंडित ने हिंदी के अलावा बंगाली, मराठी, उड़िया और गुजराती जैसी भाषाओं में भी गाने गाए. परदेसिया तेरे देश में, बेकरार दिल टूट गया, सोना रे तुझे कैसे मिलूं और ये प्यार किया है जैसे उनके गाने आज भी संगीत प्रेमियों के दिलों में बसे हुए हैं.
अभिनय में भी दिखाया हुनर
गायन के साथ सुलक्षणा ने अभिनय में भी अपनी पहचान बनाई. उन्होंने 1975 में उलझन फिल्म से बॉलीवुड में डेब्यू किया, जिसमें उनके साथ संजीव कुमार नजर आए थे. इसके बाद उन्होंने संकोच, हेरा फेरी, अपनापन, खानदान, धरम कांटा और वक्त की दीवार जैसी कई फिल्मों में अभिनय किया.
संजीव कुमार से जुड़ी अनकही कहानी
सुलक्षणा पंडित ने कभी शादी नहीं की. कहा जाता है कि उन्हें अभिनेता संजीव कुमार से गहरा लगाव था. लेकिन यह रिश्ता कभी मुकाम तक नहीं पहुंच सका. संयोग देखिए कि जिस दिन संजीव कुमार की पुण्यतिथि (6 नवंबर) होती है, उसी दिन सुलक्षणा ने भी दुनिया को अलविदा कहा.
आखिरी वर्षों में एकांत और संघर्ष
जीवन के अंतिम वर्षों में सुलक्षणा ने स्वास्थ्य और आर्थिक परेशानियों का सामना किया. लंबे समय से वह सार्वजनिक जीवन से दूर थीं. बावजूद इसके उनकी मधुर आवाज और सरल व्यक्तित्व ने उन्हें भारतीय संगीत इतिहास में अमर बना दिया. संगीत जगत के लिए सुलक्षणा पंडित का जाना एक अपूरणीय क्षति है. उनके गाए गाने आने वाली पीढ़ियों तक उनकी याद दिलाते रहेंगे.
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