Ranchi : रिम्स के चिकित्सा अधीक्षक डॉ विवेक कश्यप ने शुक्रवार को अपनी मां के निधन के बाद उनके शव को दान कर दिया. ऐसा कर उन्होंने न सिर्फ समाज लोगों को देहदान के प्रति जागरूक किया, बल्कि लोगों को इसके लिए आगे आने के लिए प्रेरित भी किया. उन्होंने अपनी माता के शव को दान कर मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों के उपयोग के लिए समर्पित कर दिया.
डॉ विवेक कश्यप ने कहा कि उनके पिता डॉ बीएन गुप्ता भी चिकित्सक थे. लंबे समय उन्होंने जिला मलेरिया पदाधिकारी के रूप में सेवा दी. उन्होंने अपनी मौत से पहले इच्छा जताई थी कि उनका दाहसंस्कार न कर देहदान किया जाए. डॉ विवेक कश्यप के अनुसार, जब उनके पिता की मौत हुई तो वे औरंगाबाद में थे और देहदान संभव नहीं था. इसलिए माता की मौत के बाद परिवार के सभी सदस्यों ने देहदान का निर्णय लिया.
डॉ विवेक कश्यप ने कहा कि देहदान के बाद शव चिकित्सा के क्षेत्र में काम आएगा और मेडिकल की पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट्स को सीखने का मौका मिलेगा. उन्होंने समाज के लोगों को भी देहदान का संदेश देते हुए इसके लिए आगे आने की अपील की. कहा कि मौत के बाद वैसे भी शव किसी काम नहीं आता, इसलिए शव को दान करना चाहिए.
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रिम्स में किया गया था भर्ती
डॉ विवेक कश्यप ने बताया कि उनकी माता भानु गुप्ता को लीवर की समस्या थी. 83 की उम्र में बीमार पड़ने के बाद स्थिति लगातार बिगड़ रही थी. रिम्स के क्रिटिकल केयर विभाग में एक फरवरी को डॉ प्रदीप भट्टाचार्य की देखरेख में उन्हें भर्ती किया गया था. जबकि इलाज के दौरान गुरुवार शाम करीब 5:15 बजे उनकी मौत हो गई. इसके बाद शुक्रवार को उनके शव को रिम्स के एनोटॉमी विभाग में डोनेट किया गया.
रिम्स में पहली बार चिकित्सक ने किया ऐसा कार्य
एनोटॉमी विभाग के प्रोफेसर और बॉडी डोनेशन के इंचार्ज डॉ डी कुमार ने चिकित्सा अधीक्षक डॉ विवेक कश्यप के प्रयास को सराहनीय बताया. उन्होंने कहा कि लोगों में देहदान को लेकर बिल्कुल जागरूकता नहीं है. ऐसे में अब इसकी रिम्स में शुरुआत हुई है. पूर्व में दो से तीन लोगों ने देहदान किया है. लेकिन यह पहली बार है, जब रिम्स के ही चिकित्स ने आगे आकर इस परंपरा को शुरू की है. निश्चित तौर पर इसका पॉजिटिव संदेश समाज में जाएगा.
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