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Comment : हजारीबाग में अवैध कोयला कारोबार- ऐसा क्यों है कि सब चुप हैं!

vijeta खबर है कि हजारीबाग में अवैध कोयला खादान में गए तीन लोग लापता हो गए हैं. शायद ही तीनों के बारे में कुछ पता चले. अगर वो जिंदा नहीं बचे होंगे, तो शायद ही उनके बारे में लोगों को कुछ पता चले. माफिया और सिस्टम तीनों को निगल जाएंगे. लापता होने वालों के परिजन या तो डर कर चुप रह जाएंगे या पैसे देकर उनका मुंह बंद कर दिया जायेगा. ऐसा पहले भी 18-19 जनवरी 2025 की रात बड़कागांव इलाके के लुरूंगा गांव में अवैध उत्खनन के दौरान खादान में दब कर दो लोगों की मौत हो गई. जिनके नाम रवि और राहुल थे. थाना में केस वगैरह भी हुआ, लेकिन डब्बू सिंह नामक कोयला कारोबारी ने सब मैनेज कर लिया. पिछले हफ्ते उसी डब्बू सिंह ने हजारीबाग जिले में ही अवैध कोयला कारोबार के खिलाफ छापेमारी करने गई वन विभाग के कर्मियों को फायिरंग कर दी. वो बाल-बाल बचे. इसमें भी केस हुआ है. पर केस का हश्र क्या होगा, यह सबको अंदाजा है. हजारीबाग में अवैध कोयला कारोबार का हर रिकॉर्ड टूट गया है. एनटीपीसी का कोयला सिंघानिया के फैक्टरी में जा रहा है और वहां की पुलिस और प्रशासन मौन है. मिश्रा जी और पांडेय जी की जोड़ी ने सबकी जुबान बंद करा दी है. यही हाल हजारीबाग के चुरचू व उरीमारी इलाके की भी है. सवाल यह उठता है कि कोयला का अवैध कारोबार करने वालों को संरक्षण कौन दे रहा है. हजारीबाग का बच्चा-बच्चा जानता है कि स्थानीय पुलिस का संरक्षण मिल रहा है. अगर ऐसा नहीं होता तो किसी कोयला कारोबारी का मनोबल इतना कैसे बढ़ा हुआ है कि वह सरकार के कर्मचारी पर फायरिंग कर दे और खुल्ला घुमता रहे. वह भी ऑन ड्यूटी सरकारी कर्मी पर फायरिंग करने के बाद. क्या बिना स्थानीय प्रशासन व पुलिस की मदद से यह संभव है. दरअसल, हजारीबाग जिला पुलिस का सिस्टम गल चुका है. अवैध कोयला, लॉटरी, ड्रग्स हर तरह का अवैध काम वहां बेरोक-टोक चल रहा है. ऐसा संभव नहीं कि राजधानी में बैठने वाले बड़े अफसरों को इसकी भनक नहीं होगी. पर कुछ ऐसा है कि हर शख्स चुप है. मौतों पर यह चुप्पी बेहद खतरनाक है. इसे भी पढ़ें - J&K">https://lagatar.in/jk-encounter-with-security-forces-in-kishtwar-2-jaish-terrorists-killed-other-2-surrounded/">J&K

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