पंचायती राज विभाग की निदेशक ने डीसी से मांगी जानकारी, लिखा-कई बार पत्राचार के बाद भी डीडीसी सह हजारीबाग जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी की ओर से नहीं दिया गया जवाब
एचबीजेड आरोग्यम हॉस्पिटल के मालिक हैं हर्ष अजमेरा
Ranchi/Hazaribagh: हजारीबाग के सबसे बड़े और सर्वाधिक लोकप्रिय एचबीजेड सुपर स्पेशियलिटी आरोग्यम अस्पताल पर कई तरह के सवाल उठ खड़े हुए हैं. यह सवाल बबलू सिंह की उस शिकायत पत्र के बाद से उठने लगे हैं, जिसमें उन्होंने राज्यपाल को इस अस्पताल के खिलाफ शिकायत पत्र भेजा. पत्र में कहा गया है कि आज जहां आरोग्यम अस्पताल चल रहा है, वह कभी जिला परिषद का भवन था. सवाल यहीं से खड़ा किया गया है कि आखिर जिला परिषद भवन में प्राइवेट अस्पताल कैसे चलने लगा. इसे पब्लिक प्रॉपर्टी का दुरुपयोग बताया गया. शिकायत में कई अन्य आरोप भी लगाए गए हैं.
इस संबंध में राज्यपाल के प्रधान सचिव ने पंचायती राज विभाग की निदेशक से जानकारी मांगी. निदेशक ने इस संबंध में हजारीबाग डीसी नैंसी सहाय को कई बार पत्र प्रेषित कर मामले की जानकारी मांगी है. पत्र में पूछा गया है कि जिला परिषद भवन आरोग्यम अस्पताल को किस परिस्थिति में दे दिया गया. डीडीसी सह जिला परिषद हजारीबाग के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी से विस्तार से जानकारी लेकर उपलब्ध कराने को कहा गया है. लेकिन अबतक जानकारी उपलब्ध नहीं करायी गयी है. पंचायती राज निदेशक ने लिखा है कि कई बार पत्राचार के बाद भी डीडीसी सह हजारीबाग जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी की ओर से नहीं दिया गया जवाब.
बगैर एकरारनामा भवन हस्तांतरित किया, आरटीआई में भी नहीं दी जानकारी
राज्यपाल के प्रधान सचिव ने पंचायती राज विभाग के निदेशक को पत्र में लिखा है कि शिकायतकर्ता बबलू सिंह ने कहा है कि राइट टू इंफॉर्मेशन के तहत सूचना मांगे जाने के बाद भी अस्पताल और जिला परिषद से संबंधित मामले की जानकारी उपलब्ध नहीं करायी गयी. इधर आवेदक ने राज्यपाल को लिखे पत्र में कहा है कि इस मामले में काफी भ्रष्टाचार हुआ है. यह अस्पताल करीब 7-8 साल पहले खुला है और धीरे-धीरे जिला परिषद चौक के निकट अपना आलीशान भवन खड़ा कर लिया. साथ ही एकछत्र राज कायम कर लिया. मामले में जिला परिषद और पंचायती राज विभाग ने अपनी आंख-कान बंद रखे. या यों कहें सरकारी भवन-जमीन की लूट की छूट दे दी थी. उनके आरटीआई आवेदन को भी स्वीकार नहीं किया गया. आरटीआई के तहत भवन हस्तांतरण के संबंध में जिला परिषद और अस्पताल के बीच हुए एकरारनामा की कॉपी मांगी गई थी. शिकायत पत्र में कहा गया है कि भवन हस्तांतरण से संबंधित कोई एकरारनामा किया ही नहीं गया है.
तत्कालीन डीडीसी जाधव विजया के कार्यकाल में हुआ खेल
जब निजी अस्पताल को जिला परिषद भवन का हस्तांतरण किया गया, उस वक्त हजारीबाग की डीडीसी सह जिला परिषद की मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी जाधव विजया नारायण राव थीं. राज्यपाल को भेजे गए शिकायत पत्र में आरोप लगाया गया है कि जिला परिषद भवन की डील मोटी रकम में हुई है और हॉस्पिटल से सटा कर तीन करोड़ की मल्टीपरपस बिल्डिंग बना दी गयी. अस्पताल के मालिक हर्ष अजमेरा द्वारा यहां अस्पताल खोलने का मुख्य उद्देश्य शहर का प्राइम लोकेशन होना बताया गया है. पत्र में यह भी कहा गया है कि यहां सामने यातायात थाना के स्थायी भवन बनाने में अस्पताल प्रबंधन की ओर से इसलिए सहयोग किया गया, ताकि प्रशासन को भी उपकृत (ऑब्लाइज) किया जा सके. साथ ही नैतिक सहयोग व समर्थन (मोरली सपोर्ट) मिलता रहे.
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