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ग्राम सभाओं को दरकिनार करते हैं अधिकारी
विर्मश में वक्ताओं ने कहा कि पेसा कानून पारित होने के 25 वर्षों बाद भी झारखंड में यह एक सपना मात्र है. राज्य के 24 में से 13 ज़िले पूर्ण रूप से और तीन ज़िलों का कुछ भाग अनुसूचित क्षेत्र हैं, लेकिन अभी तक राज्य में पेसा की नियमावली तक नहीं बनायी गय़ी है. लंबे जन संघर्ष के बाद 1996 में देश में पंचायत के प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम, जिसे पेसा के नाम से जाना जाता है, लागू हुआ. इस क़ानून के अनुसार, पांचवीं अनुसूची के क्षेत्रों में पंचायती राज व्यवस्था को आदिवासी समुदायों के गांव, समाज, पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था और संस्कृति के अनुरूप लागू किया जाना है. पांचवीं अनुसूची आदिवासियों की स्वशासन प्रणाली के संरक्षण और उनके सामाजिक, आर्थिक व राजनैतिक विकास के लिए संवैधानिक ढांचा देती है.झारखंड में पेसा एक सपना मात्र है
पेसा स्पष्ट रूप से कहता है कि आदिवासी समुदाय की समझ एवं परंपरा के अनुसार ‘गांव’ को परिभाषित किया जाना है. गांव की ग्राम सभा, जिसमें गांव के सभी मतदाता सदस्य होंगे, ही सामुदायिक संपत्तियों जैसे जल, जंगल, जमीन आदि की मालिक होगी. गांव में किसी प्रकार का भी विकास का कार्य ग्राम सभा की अनुमति से ही किया जायेगा. ग्राम सभा का निर्णय और राय सर्वोच्च माने जायेंगे. कानून पारित होने के 25 वर्षों बाद भी झारखंड में पेसा एक सपना मात्र है. राज्य के 24 में से 13 ज़िले पूर्ण रूप से और तीन ज़िलों का कुछ भाग अनुसूचित क्षेत्र है, लेकिन अभी तक झारखंड के लिए पेसा की नियमावली तक नहीं बनायी गयी है.अधिकारी करते हैं खानापूर्ति के लिए ग्राम सभाओं की बैठक
विर्मश में झारखंड के सदर्भ में वक्ताओं ने कहा कि सरकारी योजनाओं के लिए अधिकारी ग्रामसभा की बैठक करा कर योजना स्वीकृत करते हैं, जो कि पेसा की अत्मा को खत्म करने का प्रसास के रूप में देखा जा सकता है. विर्मश का आयोजन ‘स्वशासन अभियान इंडिया’, ‘ग्राम सभा फेडरेशन, झारखंड’ और ‘संवाद’ के द्वारा आयोजित किया गया था. विर्मश मंगलवार को भी जारी रहेगा. विमर्श में 90 प्रतिभागी उपस्थित थे. इसे भी पढ़ें – आतंकी">https://lagatar.in/terrorist-attack-the-soldiers-bus-was-not-bullet-proof-there-were-no-weapons-nearby/">आतंकीहमला : बुलेट प्रूफ नहीं थी जवानों की बस, पास में नहीं थे हथियार [wpse_comments_template]
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