- वन पट्टा के लिए 40 ग्रामीणों ने किया था आवेदन, 7 को मिला, बाकी आवेदन का क्या हुआ पत्ता नहीं
- कोनार नदी पर बना लिफ्ट एरिगेशन 25 साल से ठप, विधायक और सांसद ने भी नहीं ली सुध
- कोविड के दौरान विधायक जेपी पटेल ने पुल का किया था शिलान्यास, अब तक नहीं बना
- गांव के पांच लोगों को मिला अबुआ आवास, काम नहीं हुआ शुरू
- विधायक और सासंद का ग्रामीण कर रहे इंतजार, ताकि विकास कार्य की ली जा सके जानकारी
- जाहेरथान की भी नहीं हुई घेराबंदी
हजारीबाग से लौट कर प्रवीण कुमार और प्रमोद उपाध्याय की रिपोर्ट
Hazaribagh : दो किलोमीटर की दूरी तय करने में आपको कितना वक्त लगेगा? पैदल चले तो ज्यादा से ज्यादा 10 मिनट और अगर बाइक से गये तो यही कोई एक से दो मिनट के करीब. लेकिन हजारीबाग लोकसभा के चुरचू प्रखंड में एक ऐसा गांव है, जहां बारिश के मौसम में जाने पर आपको घंटों लगेंगे. इस गांव का नाम चीचीखुर्द है. चीची कला पंचायत का यह गांव चुरचू प्रखंड और सदर प्रखंड के बॉर्डर पर है. एक ओर विधायक मनीष जायसवाल का विधानसभा है तो दूसरी तरफ विधायक जेपी पटेल का विधानसभा क्षेत्र. हालांकि यह गांव विधायक जेपी पटेल के विधानसभा में पड़ता है. दोनों लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं. मनीष जायसवाल के विधानसभा क्षेत्र से जेपी पटेल के विधानसभा क्षेत्र के गांवों को जोड़ने वाली सड़क कच्ची है. कुछ स्थानोंं पर बोल्डर जरुर नजर आते है, मानो कभी यहां पक्की सड़क बनी ही नहीं. गांव की पहचान कभी मशरुम उत्पादन के लिए पूरे राज्य में थी. लेकिन जर्जर भवन ने यह पहचान भी छीन ली. संथाल आदिवासी बहुल इस गांव के लोगों ने वन पट्टा के लिए आवेदन दिया था, लेकिन 7 लोग को पट्टा दे कर खानापूर्ति कर दी गई. 1000 की आबादी वाले इस गांव में पिछले पांच सालों में सांसद और विधायक मद का एक रुपया भी खर्च नहीं किया गया. कभी रोजगार के लिए अत्मनिर्भर रहने वाले इस गांव के युवा पलायन कर हजारीबाग और दिल्ली जैसे शहरों में काम की खोज में जाते हैं. गांव में सिर्फ बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे ही नजर आते हैं. गांव की पहचान कच्ची उबड़खबर रास्तों से है. 2020 में गांव में स्थानीय विधायक जेपी पटेल कोनार नदी पर बने उच्चस्तरीय पुल के शिलान्यास के लिए गांव से गुजरे थे. उनकी गाड़ी भी बुरी तरह फंस गयी थी. इसके बाद भी गांव की सड़क नहीं बनी. गांव के सरना स्थल की भी घेराबंदी नहीं की गयी. ग्रामीण इस चिलचिलाती गर्मी के बावजूद भी चुनावी गहमागहमी में स्थानीय विधायक और सांसद के गांव आने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि उनसे विकास कार्यों का हिसाब लिया जा सके. नदी के करीब संथाल समुदाय का जाहेरथान भी है, लेकिन उसकी भी घेराबंदी नहीं की गयी है.
विधायक और सांसद ने नहीं ली मशरुम उत्पादन केंद्र की सुध : बास्के मुर्मू
गांव के बुजुर्ग बास्के मुर्मू (57) कहते हैं कि गांव में लघु सिंचाई योजना से 1990 में लिफ्ट एरिगेशन सिस्टम लगाया गया था. लेकिन वह फिछले 20 सालों से खराब है. कोई भी सांसद और विधायक ने इसकी सुध नहीं ली है. उसी तरह गांव में मशरूम केंद्र की स्थापना 1980 में की गई थी. लेकिन भवन जर्जर होने के कारण 2001 से ही इसे बंद कर दिया गया. गांव की महिलाओं को इससे रोजगार मिलता था. लेकिन किसी जनप्रतिनिधि ने ग्रामीणों के रोजगार के लिए कोई काम नहीं किया. स्थानीय विधायक फंड का अभाव बताकर मामले को टालते रहे.
वृद्धावस्था पेंशन के लिए किया था आवेदन, नहीं मिला लाभ : छोटका बास्के
छोटका बास्के (58) कहते हैं कि गांव में चार टोले हैं. गोबरदहा और पन्नाटांड़ में क्रमशः 45 और 25 संथाल परिवार रहते हैं. वहीं सिगनिया में 30 और कनाबांध में 30 परिवार रहते हैं, जिसमें कुछ घर कुर्मी परिवारों का है. गांव के कई लोगों ने मुख्यमंत्री राज्य वृद्धावस्था पेंशन योजना के लिए आवेदन किया था. लेकिन योजना का लाभ अधिकतर लोगों को नहीं मिला. बता दें कि राज्य सरकार ने 50 साल के उपर की महिला और एसटी-एससी पुरुषों को वृद्धावस्था पेंशन देने का निर्णय लिया था. ताकि सभी वर्ग की महिलाएं व अनुसूचित जाति-जनजाति के पुरुष जो आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े हुए हैं, उनका कल्याण हो सके. मगर ऐसा हुआ नहीं.
ग्रामसभा के अनुमोदन के बाद वन पट्टा के लिए 40 लोगों ने दिया था आवेदन, मिला सिर्फ सात को
वन पट्टा के सवाल पर बगुन सोरेन(62) कहते हैं कि गांव के 40 से अधिक लोगों ने वन पट्टा के लिए आवेदन किया था. जिसमें 7 लोगों को वन पट्टा मिला है. बाकी लोगों का आवेदन कहां गया इसकी जानकारी कोई नहीं दे रहा है. जिन्होंने दो एकड़ के लिए आवेदन दिया था, उन्हें भी सिर्फ पांच-सात डिसमिल का ही पट्टा दिया गया है. जबकि सभी आवेदन ग्रामसभा से पास कर भेजे गये थे.
विधायक की गाड़ी भी फंसी थी, मगर नहीं बनी सड़क
ग्रामीण कहते हैं कि गांव के मशरूम केंद्र से लेकर फुटलाई नाला तक सड़क पूरी तरह जर्जर है. यहां कभी पक्की सड़क बनी ही नहीं है. गोबरदहा से बेलडहा जाने वाले रास्ते में चार स्थानों पर गार्डवाल बनाने की जरूरत है. यहां अक्सर दुर्घटना होते रहती है. लोगों का कहना है कि स्थानीय विधायक और सांसद ने गांव के विकास पर ध्यान नहीं दिया. एक बार विधायक की गाड़ी भी इस जर्जर सड़क में फंसी थी, फिर भी सड़क नहीं बनी. फंड का अभाव बताकर मामले को टाल दिया गया.
आपको कैसा सांसद चाहिए… सवाल पर क्या बोले ग्रामीण
आपको कैसा सांसद चाहिए के सवाल पर ग्रामीणों ने कहा कि जो गांव को विकास की ओर ले जाये, गांव की समस्याओं को दूर करे, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये, वैसे जनप्रतिनिधि को हम वोट देंगे. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री के जेल में बंद होने को लेकर गांव के युवाओं और बुजुर्गों ने कहा कि कुछ किया होगा, इसलिए जेल जाना पड़ा है. ऐसे ही कोई किसी को जेल थोड़े भेज देता है.
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