झारखंड कैबिनेट : राज्यकर्मियों का महंगाई भत्ता चार फीसदी बढ़ा, 26 प्रस्तावों पर मुहर केस स्टडी 2 एदेलबेड़ा गांव के लक्ष्मी मांझी (जॉब कार्ड 2090), गीता मांझी, कपुरमानी मांझी, रिमसी मांझी, सुमी मांझी, सुकमारी मांझी व पाली मांझी जैसे मनरेगा मजदूर जो मात्र फोटो खींचाने के लिए जाते हैं, ये वास्तविक रूप से ग्राम एदेलबेड़ा में बुधराम मांझी की जमीन पर मिश्रित बागवानी में 25 तारीख से ठेकेदार जोह्न गुन्डुआ के मौखिक आदेश पर काम कर रहे हैं. जबकि इस अवधि में उक्त योजना में कोई मस्टर रोल सृजित नहीं है. बल्कि मस्टर रोल पहले सृजित की गई थी, जो 11 से 24 अप्रैल तक के लिए था. लेकिन इस अवधि में उस योजना में किसी तरह का कार्य नहीं किया गया. जब लक्ष्मी मांझी का जॉब कार्ड ऑनलाइन चेक किया गया तो उनके नाम से काम की मांग पंजीकृत्त है. इन मजदूरों में से किसी भी मजदूर के पास उनका जॉब कार्ड नहीं था. [caption id="attachment_621475" align="alignnone" width="600"]
alt="झारखंड में मनरेगा का हाल" width="600" height="400" /> झारखंड में मनरेगा का हाल[/caption] केस स्टडी 3 पोड़ाहाट पंचायत के ग्राम उदनचोका में बंदिया की जमीन में एक तालाब का निर्माण होना है. इस योजना में 18 से 24 तक 29 मजदूरों के नाम से मस्टर रोल सृजित किया गया था. परंतु योजना स्थल पर सिर्फ 17 मजदूर ही काम किये. लेकिन यहां 7 मजदूरों के नाम प्रतिदिन हाजरी बने. इसके पहले भी इस योजना में एक सप्ताह के अंदर 30 से अधिक मजदूरों के नाम मस्टर रोल सृजित हुआ. इस योजना स्थल पर कोई भी मेट मजदूरों को मदद व उनके हाजरी बनाने के लिए कार्यस्थल पर नहीं पहुंचते. सोनुआ प्रखंड के बलजोरी, बारी, देवनबिर, गोविंदपुर, सोनापोस जैसे पंचायतों में इस वित्तीय वर्ष में एक भी मनरेगा मेट की नियुक्ति पंचायतों द्वारा नहीं की गई है. यह इस बात का साफ संकेत है कि उन सभी पंचायतों में मनरेगा योजनाएं ठेकेदारों के माध्यम से संचालित की जा रही है, जो अनुसूची II की धारा 21 का उल्लंघन है. इसे भी पढ़ें : रांची">https://lagatar.in/ranchi-6-lakh-looted-builders-staff-in-lalpur/">रांची
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