Ranchi: शिमला में आयोजित अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के 82वें सम्मेलन में झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रविंद्रनाथ महतो शामिल हुए. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अपने कार्यकाल के दौरान मैंने अपनी प्राथमिकताएँ तीन गुना निर्धारित की थी. सत्र के अधिकतम समय का उपयोग करने और इसे अधिक कुशल और उत्पादक बनाने के लिए, अन्य प्रयासों के अलावा हम अपनी विधानसभा में ई-विधान को जल्द से जल्द लागू करने का भी प्रयास कर रहे हैं. इस दिशा में विधानसभा सचिवालय के तरफ से प्रयास किए जा रहे हैं और हमें केंद्र और राज्य सरकारों से अपेक्षित सहयोग मिल रहा है.
यूट्यूब चैनल के जरिये आम लोग देख पा रहे विस की गतिविधियां
स्पीकर ने कहा कि उन्होंने सदन की कार्यवाही और विधानसभा की अन्य गतिविधियों को भी आम लोगों के सामने लाने का फैसला किया है. इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए उन्होंने यू-ट्यूब पर झारखंड विधानसभा टीवी की शुरुआत की और इसे लोगों के लिए बेहतर और अधिक लाभकारी बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं. स्पीकर ने कहा कि उन्होंने युवा पीढ़ी को अपनी संसदीय प्रक्रियाओं के बारे में अधिक जागरूक करने का भी फैसला किया है, ताकि एक तरफ उन्हें हमारे लोकतांत्रिक सिद्धांतों में अधिक विश्वास हो, साथ ही हम उनमें नेतृत्व के गुण पैदा कर सकें. इस लक्ष्य के लिए उन्होंने विधानसभा में एक छात्र संसद का आयोजन किया, जिसमें छात्रों ने वास्तविक सदन की कार्यवाही का संचालन किया गया. एक प्रश्नकाल चलाया गया और एक विधेयक पेश किया गया. विधानसभा द्वारा विधेयक को पारित भी किया गया.
कार्यक्रम के महत्व पर स्पीकर ने की चर्चा
इससे पहले उन्होंने कार्यक्रम के महत्व पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि यह घटना सही मायने में ऐतिहासिक है. न केवल 100 साल पहले सितंबर 1921 में शिमला में पहला पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन आयोजित किया गया था, बल्कि इसलिए भी कि 12 फरवरी, 1921 को आधारशिला रखी गई थी. वर्तमान संसद भवन और फिर केंद्रीय विधान सभा की नींव ड्यूक ऑफ कनॉट, प्रिंस आर्थर द्वारा रखी गई थी. छह साल के समय में, जब 18 जनवरी 1927 को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन द्वारा इस भवन का उद्घाटन किया गया था, तो भवन के मुख्य वास्तुकार हर्बर्ट बेकर ने लॉर्ड इरविन को इस भवन को खोलने के लिए सोने से बनी एक चाबी भेंट की थी. तब न तो बेकर और न ही इरविन सोच सकते थे कि वे भारत की स्वतंत्रता के द्वार खोल रहे हैं.
रवींद्रनाथ ठाकुर के शब्दों के साथ स्पीकर ने खत्म किया भाषण
1947 में 20 वर्षों के बाद ऐतिहासिक संसद भवन में हमारे पहले प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के “भाग्य के साथ प्रयास” का ऐतिहासिक भाषण देखा गया. औपनिवेशिक आकाओं ने इस इमारत का निर्माण मोंटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधारों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए किया था, जिसने केंद्रीय विधानसभा को द्विसदनीय बना दिया था. यह आयोजन इसलिए भी ऐतिहासिक है, क्योंकि यहां शिमला में ही 1925 में केंद्रीय विधान सभा की बैठक हुई थी, जिसमें राष्ट्रपति विट्ठलभाई पटेल को वर्तमान समय के समकक्ष पद के लिए चुना गया था. उन्होंने गुरुदेव रवींद्र नाथ ठाकुर के शब्दों के साथ अपना भाषण समाप्त किया.
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