New Delhi : कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग द्वारा चुनावी बॉन्ड के आंकड़े सार्वजनिक किये जाने के बाद भाजपा पर हमला बोला है. कांग्रेस ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि ये आंकड़े किसी लाभ के बदले लाभ पहुंचाने, हफ्ता वसूली, रिश्वतखोरी और मुखौटा कंपनियों के माध्यम से धनशोधन जैसी भाजपा की भ्रष्ट तरकीबों को बेनकाब करते हैं. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
इलेक्टोरल बांड से जुड़ी जानकारी सामने आने के बाद यह पहला विश्लेषण है जिसे एसबीआई ने चुनाव के बाद तक स्थगित करने के कई हफ़्तों के प्रयास के बाद कल रात सार्वजनिक किया:
•1,300 से अधिक कंपनियों और व्यक्तियों ने इलेक्टोरल बांड के रूप में दान दिया है, जिसमें 2019 के बाद से भाजपा को…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) March 15, 2024
जयराम रमेश ने मांग की कि बॉन्ड आईडी नंबर उपलब्ध कराये जायें
कांग्रेस के पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने मांग की कि बॉन्ड आईडी नंबर उपलब्ध कराये जायें, ताकि चंदा देने वालों और लेने वालों का सटीक मिलान किया जा सके. निर्वाचन आयोग ने गुरुवार को चुनावी बॉन्ड के आंकड़े सार्वजनिक किये हैं. उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने 12 मार्च को आयोग के साथ आंकड़े साझा किये थे. रमेश ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा, 1,300 से अधिक कंपनियों और व्यक्तियों ने चुनावी बॉन्ड के रूप में चंदा दिया है, जिसमें 2019 के बाद से भाजपा को मिला 6,000 करोड़ से अधिक का चंदा शामिल है.
भाजपा की हफ्ता वसूली रणनीति बिल्कुल सरल है
उन्होंने आरोप लगाया कि चुनावी बॉन्ड के आंकड़े भाजपा की कम से कम चार भ्रष्ट तरकीबों लाभ के बदले लाभ पहुंचाने, ‘हफ्ता वसूली, रिश्वतखोरी और मुखौटा कंपनियों के माध्यम से धनशोधन को उजागर करते हैं. रमेश ने दावा किया कि ऐसी कई कंपनियों के मामले हैं जिन्होंने चुनावी बॉन्ड के रूप में चंदा दिया और इसके तुरंत बाद सरकार से भारी लाभ प्राप्त किया. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की हफ्ता वसूली रणनीति बिल्कुल सरल है. वह यह है कि ईडी (प्रवर्तन निदेशालय), सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) और आयकर विभाग के जरिए किसी कंपनी पर छाप मारो और फिर उससे हफ्ता (चंदा)मांगो.
30 चंदादाताओं में से कम से कम 14 के खिलाफ पहले छापे मारे गये थे
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि 30 चंदादाताओं में से कम से कम 14 के खिलाफ पहले छापे मारे गये थे. उन्होंने कहा कि आंकड़ों से यह जानकारी सामने आती है कि केंद्र सरकार से कुछ मदद मिलने के तुरंत बाद कंपनियों ने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से एहसान चुकाया. उन्होंने दावा किया, वेदांता को तीन मार्च 2021 को राधिकापुर पश्चिम निजी कोयला खदान मिली और फिर उसने अप्रैल 2021 में 25 करोड़ रुपये का चुनावी बॉन्ड के रूप में चंदा दिया.
रमेश ने कहा, चुनावी बॉण्ड योजना के साथ एक बड़ी समस्या यह थी कि इसने यह प्रतिबंध हटा दिया कि किसी कंपनी के मुनाफे का केवल एक छोटा हिस्सा ही दान किया जा सकता है. इसके कारण मुखौटा कंपनियों के लिए काला धन दान करने का मार्ग प्रशस्त हो गया. उनका कहना है, एक अन्य प्रमुख मुद्दा गुम आंकड़े का है.
चुनावी बॉन्ड की पहली किश्त में भाजपा को 95 प्रतिशत धनराशि मिली
एसबीआई द्वारा प्रदान किये गये आंकड़े में केवल अप्रैल 2019 से जानकारी दी गयी है, लेकिन एसबीआई ने मार्च 2018 में बॉन्ड की पहली किश्त बेची. इन आंकड़ों से 2,500 करोड़ रुपये के बॉन्ड गायब हैं. मार्च 2018 से अप्रैल 2019 तक इन गायब बॉन्ड का डेटा कहां है? उन्होंने कहा, चुनावी बॉन्ड की पहली किश्त में, भाजपा को 95 प्रतिशत धनराशि मिली. भाजपा किसे बचाने की कोशिश कर रही है? रमेश ने कहा, जैसे-जैसे चुनावी बॉन्ड के आंकड़ों का विश्लेषण जारी रहेगा, भाजपा के भ्रष्टाचार के ऐसे कई मामले स्पष्ट होते जायेंगे. हम बॉन्ड आईडी नंबर की भी मांग करते रहते हैं, ताकि हम चंदा देने वालों और लेने वालों का सटीक मिलान कर सकें.