New Delhi : कांग्रेस ने भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ पर आज शनिवार को आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक ने पहले 1942 में इस आंदोलन का और फिर कुछ साल बाद भारत के संविधान का विरोध किया था.
8 अगस्त 1942 की रात, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने ऐतिहासिक भारत छोड़ो प्रस्ताव पारित किया। इसके बाद महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत करते हुए अपना मशहूर "करो या मरो" भाषण दिया।
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) August 9, 2025
9 अगस्त 1942 की सुबह-सुबह ही कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। गांधीजी को…
कांग्रेस ने यह भी दावा किया कि महात्मा गांधी ने 1942 में ब्रिटिश शासन को हटाने का आह्वान करते हुए आंदोलन शुरू किया था. इसका परिणाम यह हुआ कि औपनिवेशिक शासकों(अंग्रेज सरकार) ने कांग्रेस के पूरे नेतृत्व को जेल में डाल दिया था.
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने इसे लेकर एक्स’ पर लिखा, 8 अगस्त 1942 की रात, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने ऐतिहासिक भारत छोड़ो’प्रस्ताव पारित किया. इसके बाद महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की और अपना मशहूर करो या मरो... का भाषण दिया. ’
रमेश ने लिखा कि 9 अगस्त, 1942 की सुबह ही कांग्रेस के शीर्ष नेता गिरफ्तार कर लिये गये. गांधी को पुणे के आगा खान पैलेस में 6 मई 1944 तक नजरबंद रखा गया. लिखा कि पंडित नेहरू, सरदार पटेल, आज़ाद, पंत सहित अन्य नेताओं को अहमदनगर किले की जेल में बंद किया गया, जहां वे 28 मार्च 1945 तक बंद रहे.
रमेश ने लिखा कि 1921 से 1945 के बीच नेहरू लगभग नौ साल तक जेल में रहे, प नेहरू ने द डिस्कवरी ऑफ इंडिया अहमदनगर जेल में ही लिखी, जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि जब पूरा कांग्रेस नेतृत्व जेल में था और देश में आंदोलन चरम पर था, तब आरएसएस ने भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया. सात साल बाद भारत के संविधान का भी विरोध किया.
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