New Delhi : कांग्रेस ने करोड़ों रुपये के भारत-अमेरिका ड्रोन सौदे में पूरी पारदर्शिता की मांग की और आरोप लगाया कि 31 एमक्यू-9बी प्रीडेटर यूएवी ड्रोन ऊंची कीमत पर खरीदे जा रहे हैं. कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने आज बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है और प्रीडेटर ड्रोन सौदे पर कई संदेह उठाये जा रहे हैं. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
#WATCH | What happened in the Rafale deal, is being repeated in the Predator drone deal with US. Other countries are buying the same drones at less than four times the price. India is buying 31 Predator drones for 3 billion US dollars, which is Rs 25,000 crores. We are buying a… pic.twitter.com/ph729vDjzA
— ANI (@ANI) June 28, 2023
एक बार फिर स्वदेशी प्रयासों को कमज़ोर करने वाला संदिग्ध रक्षा सौदा सामने आया है और फिर से इसके केंद्र में प्रधानमंत्री हैं।
25,200 करोड़ रुपए की 31 MQ-9B प्रीडेटर यूएवी ड्रोन की ख़रीद पर हमारा बयान और मोदी सरकार से 6 महत्वपूर्ण सवाल। pic.twitter.com/qahVbZAEf9
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) June 28, 2023
मोदी सरकार राष्ट्रीय हितों को खतरे में डालने के लिए जानी जाती है
उन्होंने कहा, मोदी सरकार राष्ट्रीय हितों को खतरे में डालने के लिए जानी जाती है और भारत के लोगों ने राफेल सौदे में भी यही देखा है, जहां मोदी सरकार ने 126 के बजाय केवल 36 राफेल जेट खरीदे. हमने यह भी देखा कि कैसे एचएएल को प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण से वंचित कर दिया गया. यह भी देखा कि रक्षा अधिग्रहण समिति और सशस्त्र बलों की व्यापक आपत्तियों के बावजूद कैसे कई एकतरफा निर्णय लिये गये. राफेल घोटाला फ्रांस में अब भी जांच के दायरे में है.
हम मोदी सरकार में हुए एक और घोटाले में फंस जायेंगे
उन्होंने कहा, हम इस प्रीडेटर ड्रोन सौदे में पूरी पारदर्शिता की मांग करते हैं. भारत को महत्वपूर्ण सवालों के जवाब चाहिए. अन्यथा हम मोदी सरकार में हुए एक और घोटाले में फंस जायेंगे. जान लें कि रक्षा मंत्रालय ने अमेरिका के साथ हुए ड्रोन सौदे में मूल्य घटक के साथ अधिग्रहण प्रक्रिया को लेकर सोशल मीडिया में साझा की जा रही रिपोर्ट को खारिज कर दिया है. रक्षा मंत्रालय ने रविवार को कहा था कि भारत ने अमेरिका से 31 एमक्यू-9बी ड्रोन की खरीद के लिए कीमत एवं अन्य शर्तों को अभी तय नहीं किया है.
भारत और अमेरिका ने ड्रोन खरीद समझौते को मंजूरी दी
मंत्रालय ने कहा कि वह ड्रोन खरीद लागत की तुलना इसके विनिर्माता जनरल एटॉमिक्स (जीए) द्वारा अन्य देशों को बेची गयी कीमत से करेगा और खरीद निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार की जायेगी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वाशिंगटन की उच्च स्तरीय यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका ने ड्रोन खरीद समझौते को मंजूरी दी थी. खेड़ा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की बहुप्रचारित अमेरिका यात्रा की बनावटी चमक-दमक पर धूल जमने के बीच एक रक्षा सौदा है जो अब कई सवालों के घेरे में है.
रक्षा मंत्रालय को आधिकारिक बयान जारी करना पड़ा
उन्होंने दावा किया कि यह मामला इतना गंभीर है कि रक्षा मंत्रालय को आधिकारिक बयान जारी करना पड़ा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को स्पष्टीकरण देना पड़ा. उन्होंने कहा, लेकिन भारत के लोगों को 31 एमक्यू-9बी (16 स्काई गार्डियन और 15 सी गार्डियन) हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्यूरेंस (एचएएलई) रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम (आरपीएएस) के लिए 3.072 अरब डॉलर (मौजूदा रूपांतरण स्तर पर 25,200 करोड़ रुपये) के सौदे पर जवाब चाहिए. उन्होंने कहा कि उनका पहला लड़ाकू मिशन 2017 में था और अब नवीनतम संस्करणों के साथ प्रौद्योगिकी में प्रगति हुई है.
क्या प्रीडेटर ड्रोन डील राफेल सौदे की याद नहीं दिलाती है?
खेड़ा ने कहा कि अमेरिका के जनरल एटॉमिक्स के प्रत्येक प्रीडेटर/रीपर ड्रोन की लागत लगभग 812 करोड़ रुपये होगी और भारत उनमें से 31 को खरीदने का इच्छुक है, जिसका मतलब है कि भारत 25,200 करोड़ रुपये खर्च करेगा जबकि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) केवल 10-20 प्रतिशत लागत में इसे विकसित कर सकता है. उन्होंने कहा, ड्रोन सौदे को मंजूरी देने के लिए सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) की बैठक क्यों नहीं हुई? क्या यह राफेल सौदे की याद नहीं दिलाता है जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने रक्षा मंत्रालय या विदेश मंत्रालय की जानकारी के बिना 36 राफेल विमानों के लिए एकतरफा हस्ताक्षर किये थे.
भारत ड्रोन के लिए अधिक कीमत क्यों चुका रहा है?
उन्होंने कहा, अन्य देशों की तुलना में भारत ड्रोन के लिए अधिक कीमत क्यों चुका रहा है? हम एक ड्रोन के लिए सबसे अधिक कीमत क्यों चुका रहे हैं, जिसमें एआई एकीकरण नहीं है. कांग्रेस नेता ने सवाल किया कि जब वायु सेना को इन ड्रोनों की आसमान छूती कीमतों को लेकर आपत्ति थी, तो सौदा करने की इतनी जल्दबाजी क्यों थी. उन्होंने कहा, निश्चित तौर पर यह, कीमत और एआई एकीकरण समेत अन्य तकनीकी विशिष्टताओं पर बातचीत के बाद हो सकता था. कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने एक ट्वीट में आरोप लगाया, एक बार फिर स्वदेशी प्रयासों को कमजोर करने वाला संदिग्ध रक्षा सौदा सामने आया है और फिर से इसके केंद्र में प्रधानमंत्री हैं.