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कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तो छोड़िए, 27 माह में पूरी 20 सूत्री व बोर्ड- निगम तक नहीं बांट पायी कांग्रेस

Ranchi : झारखंड की सत्ता में विराजमान कांग्रेसी नेता दावा करते हैं कि गठबंधन सरकार में सब कुछ सामान्य है. पर हकीकत इससे काफी दूर है. यह बात तो कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडेय के बीते दिनों दिये एक बयान से ही साबित हो जाती है. इसकी पुष्टि ऐसे भी होती है कि कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओं के हित में कई महत्वपूर्ण काम अभी तक पेंडिग हैं. इसमें बीस सूत्री और बोर्ड-निगम का बंटवारा सबसे प्रमुख है. दो माह पहले ही झारखंड प्रभारी का पद संभालने वाले अविनाश पांडेय हमेशा कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाने पर जोर दे रहे हैं. पर इसे छोड़िए, सत्ता में आने के 27 माह बाद भी राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस, अपने सहयोगी जेएमएम पर दबाव डालकर बीस-सूत्री, बोर्ड-निगम तक का बंटवारा नहीं कर पायी है. इसे भी पढ़ें - Deoghar">https://lagatar.in/deoghar-eight-tourists-evacuated-air-force-ndrfs-hard-work-paid-off/">Deoghar

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कांग्रेस को ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहा जेएमएम

प्रभारी अविनाश पांडेय के बयान से साफ है कि जेएमएम कांग्रेस को ज्यादा तवज्जों नहीं दे रही है. तवज्जो नहीं देने से नाराज प्रभारी ने कहा था कि 7 मार्च को ही उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कॉमन मिनिमम प्रोग्राम की लिस्ट सौंपी थी. एक माह बाद भी इस पर कुछ फैसला नहीं लिया गया. शायद वे कतिपय कारणों से कुछ फैसला नहीं ले पाये हों. पार्टी के आंतरिक सूत्रों ने कहा था, कि जेएमएम कांग्रेस को तवोज्ज नहीं दे रही है. अविनाश पांडेय ने यहां तक कह दिया था कि कोई भी मुखिया अकेले परिवार नहीं चला सकता.

तीन माह पहले 15 जिलों में हुआ बंटवारा, उसमें से भी कुछ विवादित

काफी मशक्कत के बाद करीब 2 साल बाद जिलों और प्रखंडों में 20 सूत्री कार्यान्वयन समिति के बंटवारे का काम शुरू हुआ था. बीते 9, 10 और 12 जनवरी को कुल 15 जिलों में बंटवारा का काम शुरू हुआ. साहिबगंज, जामताड़ा, पाकुड़, गढ़वा, लातेहार, खूंटी, लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, प. सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां, रामगढ़, चतरा, बोकारो व गिरिडीह शामिल हैं. बंटवारा के बाद भी कुछ जिलों में विवाद दिखा था. नियुक्ति के बाद बोकारो जिला के कसमार प्रखंड के चयनित में तीन सदस्यों ने त्यागपत्र दे दिया था. चतरा में अल्पसंख्यकों को उचित भागीदारी नहीं मिलने से कार्यकर्ताओं में नाराजगी सामने आयी.

हर दावा हो रहा खोखला साबित

सरकार के 27 माह पूरे होने के बाद भी लगभग सभी बोर्ड निगम आयोग खाली पड़े हैं. कांग्रेसी नेताओं का दावा रहा है कि दोनों दलों के नेताओं के बीच सहमति बनी है कि बोर्ड, निगम से लेकर 20 सूत्री में पदों के बंटवारे को लेकर उच्चस्तरीय कमेटी गठित की जाये. यह कमेटी गठबंधन दलों के बीच बंटवारे का फॉर्मूला तैयार करेगी. कई बार डेडलाइन तय किया गया, पर दावा खोखला साबित हुआ. बोर्ड-निगम भरे जाने को लेकर विधानसभा में विपक्ष के पूछे सवाल पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि नेता प्रतिपक्ष नहीं होने के कारण बोर्ड-निगमों के पुनर्गठन की कार्रवाई लंबित है. लेकिन कार्यकर्ताओं ने यह सोचकर कि नेता प्रतिपक्ष होगा कि नहीं, पार्टी की जीत में काफी पसीना नहीं बहाया था. इसे भी पढ़ें –सरकार">https://lagatar.in/the-government-gave-1-13-acres-of-land-to-bhadwa-munda-of-ratu-in-ranchi-the-dabangs-captured/">सरकार

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