NewDelhi : कांग्रेस ने रविवार को कहा कि राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) की सत्यनिष्ठा और राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) को आयोजित करने के तौर तरीके गंभीर सवालों के घेरे में हैं. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट में कहा, मैं 2014 और 2019 के बीच संसद की स्वास्थ्य और परिवार कल्याण संबंधी स्थायी समिति का सदस्य था. मैं उस समय नीट के लिए मिलने वाले व्यापक समर्थन को याद करता हूं. लेकिन ऐसे सांसद भी थे, विशेष रूप से तमिलनाडु से जिन्होंने चिंता जताई थी कि नीट से सीबीएसई के छात्रों को लाभ मिलेगा और दूसरे बोर्ड एवं स्कूलों से आने वाले विद्यार्थियों को नुकसान पहुंचेगा.
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— NewsDrum (@thenewsdrum) June 16, 2024
NEET Examination
The Gujarat factor
Open corruption
Open manipulationPLEASE notice :
Modiji’s ‘neat’ silence
— Kapil Sibal (@KapilSibal) June 15, 2024
गरीब तबके के विद्यार्थियों को अवसरों से वंचित किया जा रहा है?
उन्होंने कहा, मुझे अब लगता है कि इस सीबीएसई संबंधी मुद्दे पर उचित विश्लेषण की जरूरत है. क्या नीट भेदभावपूर्ण है? क्या गरीब तबके के विद्यार्थियों को अवसरों से वंचित किया जा रहा है? महाराष्ट्र जैसे अन्य राज्यों ने भी नीट को लेकर गंभीर संदेह व्यक्त किया है. रमेश ने कहा कि राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी की सत्यनिष्ठा और नीट को जिस तरह से डिजाइन और आयोजित किया जाता है उसके तरीकों पर भी गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. कांग्रेस महासचिव ने दावा किया कि पिछले दशक में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने अपना पेशेवर रवैया स्वयं खत्म कर दिया है. उन्होंने कहा, उम्मीद है कि नयी स्थायी समितियां गठित होने पर नीट, एनटीए और एनसीईआरटी की गहन समीक्षा करेगी. इसे सर्वोच्च प्राथमिकता मिलनी चाहिए.
नीट परीक्षा पांच मई को 4,750 केंद्रों पर आयोजित की गयी थी
नीट परीक्षा पांच मई को 4,750 केंद्रों पर आयोजित की गयी थी और इसमें लगभग 24 लाख अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया था. परिणाम 14 जून को घोषित होने की उम्मीद थी, लेकिन उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन पहले ही पूरा हो जाने के कारण परिणाम चार जून को घोषित कर दिये गये. बिहार में प्रश्नपत्र लीक होने तथा इस प्रतिष्ठित परीक्षा में अन्य अनियमितताओं के आरोप लगे हैं.
1,563 उम्मीदवारों को दिये गये ग्रेस मार्क रद्द
केंद्र और राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि उन्होंने एमबीबीएस और ऐसे अन्य पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए परीक्षा देने वाले 1,563 उम्मीदवारों को दिये गये ग्रेस मार्क रद्द कर दिये हैं. इस संबंध में केंद्र ने कहा है कि उनके पास या तो दोबारा परीक्षा देने या समय की हानि के लिए दिये गये ग्रेस मार्क को छोड़ने का विकल्प होगा. कांग्रेस ने शुक्रवार को इस मामले पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चुप्प को लेकर सवाल उठाया था और कहा था कि केवल उच्चतम न्यायालय की निगरानी वाली जांच ही लाखों युवा छात्रों के भविष्य की रक्षा कर सकती है.
सिब्बल ने उच्चतम न्यायालय से जांच कराने की मांग की
मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए आयोजित की जाने वाली राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) को लेकर जारी विवाद के बीच पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने अनियमितताओं के आरोपों की जांच उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त अधिकारियों से कराने की मांग की, सरकार से आग्रह किया कि वह परीक्षा आयोजित करने के तौर तरीकों को लेकर सभी राज्यों के साथ गहन विचार-विमर्श करे. पीटीआई-भाषा को दिए एक साक्षात्कार में राज्यसभा सदस्य सिब्बल ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी पर भी निशाना साधा और कहा कि अगर किसी परीक्षा में परीक्षा तंत्र ही भ्रष्ट हो जाये तो प्रधानमंत्री के लिए चुप्पी साधना ठीक नहीं है.
राजनीतिक दलों से संसद सत्र में इस मामले को जोर-शोर से उठाने का आग्रह
सिब्बल ने सभी राजनीतिक दलों से आगामी संसद सत्र में इस मामले को जोर-शोर से उठाने का आग्रह किया. सिब्बल 29 मई 2009 से 29 अक्टूबर 2012 तक मानव संसाधन विकास (अब शिक्षा विभाग) मंत्री थे. उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) ने वास्तव में धांधली की है और डॉक्टर बनने के लिए आयोजित की जाने वाली जैसी परीक्षा के प्रश्नपत्रों को पहले ही मुहैया कराने के भ्रष्ट आचरण को मीडिया संस्थानों ने उजागर किया है. उन्होंने कहा, गुजरात की कुछ घटनाओं से मैं हैरान हूं और ये राष्ट्रीय के लिए चिंता का विषय हैं. मुझे लगता है कि एनटीए को इन गंभीर सवालों का जवाब देना चाहिए.
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