New Delhi: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश को संबोधित किया. राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में संविधान से लेकर महाकुंभ तक की चर्चा की. इससे पहले राष्ट्रपति ने गणतंंत्र दिवस की बधाई दी. कहा कि आज से 75 वर्ष पहले, 26 जनवरी के दिन ही, भारत गणराज्य का आधार ग्रंथ यानी भारत का संविधान, लागू हुआ था. लगभग तीन वर्ष के विचार-विमर्श के बाद, संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 के दिन संविधान को अंगीकृत किया था. इसी उपलक्ष में 26 नवंबर का दिन, वर्ष 2015 से संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है.
संविधान हमें परिवार के रूप में एक साथ जोड़ता है
राष्ट्रपति ने कहा कि न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व हमेशा से हमारी सभ्यतागत विरासत का हिस्सा रहे हैं. संविधान एक जीवंत दस्तावेज बन गया है, क्योंकि नागरिक मूल्य सहस्राब्दियों से हमारे नैतिक मूल्यों का हिस्सा रहे हैं. राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान भारतीय के रूप में हमारी सामूहिक पहचान को अंतिम आधार प्रदान करता है. यह हमें परिवार के रूप में एक साथ जोड़ता है. कहा कि सरकार ने कल्याण की अवधारणा को नए सिरे से परिभाषित किया है. बुनियादी आवश्यकताओं को अधिकार का विषय बना दिया है. कहा कि साहसिक और दूरदर्शी आर्थिक सुधार आने वाले वर्षों में इस प्रवृत्ति को बनाए रखेंगे. हम औपनिवेशिक मानसिकता को बदलने के लिए हाल में ठोस प्रयास देख रहे हैं. शिक्षा की गुणवत्ता, भौतिक अवसंरचना और डिजिटल समावेशन के मामले में पिछले दशक में शिक्षा में काफी बदलाव आया है.
सरकार द्वारा वित्तीय समावेशन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है
उन्होंने कहा कि आज के दिन, हम, संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव आंबेडकर, सभा के अन्य प्रतिष्ठित सदस्यों, संविधान के निर्माण से जुड़े विभिन्न अधिकारियों और ऐसे अन्य लोगों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं जिनके कठिन परिश्रम के फलस्वरूप हमें यह विलक्षण ग्रंथ प्राप्त हुआ. वहीं महाकुंभ पर कहा कि महाकुंभ हमारी सभ्यतागत विरासत की समृद्धि की अभिव्यक्ति है. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा वित्तीय समावेशन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है, इसलिए प्रधानमंत्री जन धन योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, मुद्रा योजना, स्टैंड-अप इंडिया और अटल पेंशन योजना जैसी वित्तीय समर्थन योजनाओं का विस्तार किया गया है, ताकि अधिक से अधिक लोगों तक विभिन्न प्रकार की वित्तीय सहायता पहुंचाई जा सके.
वंचित वर्गों की सहायता के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं
यह भी एक बहुत महत्वपूर्ण बदलाव है कि सरकार ने जन-कल्याण को नई परिभाषा दी है, जिसके अनुसार आवास और पेयजल जैसी बुनियादी जरूरतों को अधिकार माना गया है. वंचित वर्गों के लिए, विशेष रूप से अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा अन्य पिछड़े वर्गों की सहायता के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं. अनुसूचित जातियों के युवाओं के लिए प्री- मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्तियां, राष्ट्रीय फ़ेलोशिप, विदेशी छात्रवृत्तियां, छात्रावास और कोचिंग सुविधाएं दी जा रही हैं.
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