Shakeel Akhter
Ranchi: ठेकेदार मुन्ना सिंह ने कमीशन के रूप में वसूले गये 53 करोड़ रुपये से 50 करोड़ रुपये संजीव लाल को देने की बात स्वीकार की. संजीव लाल ने इसमें से मंत्री के हिस्से का 32.20 करोड़ जहांगीर के घर पर छिपा कर रखा था. प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने एडजुडिकेटिंग ऑथरिटी में इस बात का दावा किया था, जिसे संजीव लाल समेत अन्य ने गलत साबित करने की नाकाम कोशिश की. सभी पक्षों को सुनने के बाद एडजुडिकेटिंग ऑथरिटी में टेंडर घोटाले में जब्त सभी चीजों को न्यायालय में मुकदमे के लंबित रहने तक इडी के कब्जे में रखने का आदेश दिया था.
इडी ने ग्रामीण विकास विभाग में टेंडर घोटाले की जांच के दौरान तत्कालीन मंत्री आलमगीर आलम, आप्त सचिव संजीव लाल, संजीव के करीबी जहांगीर आलम सहित अन्य लोगों के ठिकानों पर छापा मारा था. छापामारी के दौरान मिली नकद सहित अचल संपत्ति को जब्त कर लिया गया था. इसके बाद इडी ने इन चीजों को स्थायी रूप में अपने कब्जे में रखने के लिए दिल्ली स्थित एडजुडिकेटिंग ऑथरिटी में आवेदन दिया था.
इडी के आवदेन पर सुनवाई के दौरान ऑथरिटी ने तत्कालीन मंत्री के आप्त सचिव संजीव लाल उनकी पत्नी रीता लाल और करीबी जहांगीर को नोटिस किया था. सुनवाई के दौरान संजीव लाल की ओर से यह दावा किया गया कि उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है. उनके घर से जब्त 10.50 लाख रुपये का स्रोत वैध है. उन्हें गलत ढंग से मनी लाउंड्रिंग के मामले में फंसाया और गिरफ्तार किया गया.
रीता लाल की ओर से दावा किया गया कि गाड़ी और जेवर वैध स्रोत से खरीदे गये हैं. इसे जब्त करना कानूनन सही नहीं है. जहांगीर की ओर से यह कहा गया कि उसके घर से बरामद रुपयों के किसी अपराध से संबंधित होने का कोई सबूत इडी ने नहीं पेश किया है.
इडी ने सुनवाई के दौरान ग्रामीण विकास विभाग में टेंडर में कमीशन वसूली से संबंधित दस्तावेज पेश किये. इसमें संजीव लाल के कंप्यूटर से बरामद कमीशन वसूली का ब्योरा, डायरी में कोड वर्ड में लिखे गये हिसाब किताब सहित अन्य दस्तावेज शामिल थे.
इडी ने सुनवाई के दौरान ठेकेदार मुन्ना सिंह द्वारा पीएमएलए की धारा 50 के तहत दर्ज कराये गये बयान का हवाला दिया. इडी की ओर से संजीव लाल द्वारा अर्जित संपत्ति में टेंडर में कमीशन वसूलने और संपत्ति खरीदने में उसका इस्तेमाल करने की विस्तृत जानकारी दी.
इडी की ओर से ऑथरिटी में यह दावा किया गया कि मुन्ना सिंह ने कमीशन के रूप में वसूले गये 53 करोड़ में से 50 करोड़ रुपये संजीव लाल को दिये थे. संजीव लाल ने इसमें से अपना हिस्सा 2.50 करोड़ रुपये रख लिया. इस पैसे का इस्तेमाल अचल संपत्ति अर्जी करने में की. मुन्ना सिंह ने ठेकेदारों द्वारा दिये गये रुपये में से ही टेंडर मूल्य का 1.5 प्रतिशत मंत्री की हिस्सेदारी के रूप में दिया गया. इसमें से 32.20 करोड़ रुपये जहांगीर से घर से जब्त किया गया.
इडी की ओर से यह दलील दी गयी कि संजीव लाल द्वारा 2.85 करोड़ रुपये की लागत पर खरीदी गयी जमीन में कर्ज लेकर सिर्फ 37.53 लाख रुपये इस्तेमाल किया गया है. बाकी पैसा कमीशन के अपराध से जुटाया गया है. रीता लाल के नाम पर खरीदी गयी जमीन में भी कमीशन के अपराध से मिले रुपयों का इस्तेमाल किया गया है.
जहांगीर के नाम पर 72.25 लाख रुपये में खरीदी गयी जमीन में भी कमीशन से मिले 22.80 लाख रुपये का इस्तेमाल किया गया है. इसी तरह सरसैयद रेसिडेंसी मे 38 लाख रुपये में खरीदे गये फ्लैट में कमीशन के रूप में मिले 32 लाख रुपये का इस्तेमाल किया गया है.