Ranchi : झारखंड के वन विभाग में हजारीबाग प्रादेशिक अंचल से जुड़ी एक संवेदनशील जांच रिपोर्ट को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. झारखंड सरकार के अवर सचिव नितरंजु कुमार ने इस मामले में प्रधान मुख्य वन संरक्षक को पत्र लिखकर स्पष्टीकरण मांगा है. यह मामला 14 अक्तूबर 2024 को प्राप्त एक परिवाद पत्र से जुड़ा हुआ है, जिसमें विभागीय अधिकारियों के कार्यकलापों को लेकर गंभीर सवाल उठाए गए थे.
एक ही मामले में दोहरी जांच क्यों?
जानकारी के अनुसार, परिवाद मिलने पर वन संरक्षक प्रादेशिक अंचल, हजारीबाग ने पहले वन प्रमंडल पदाधिकारी, हजारीबाग पश्चिमी से जांच रिपोर्ट मांगी थी. इसके बाद 30 नवंबर 2024 को एक नई जांच कमिटी गठित कर सहायक वन संरक्षकों अभय कुमार सिन्हा और अविनाश कुमार परमार से अलग से प्रतिवेदन मांगा गया. अवर सचिव ने सवाल उठाया है कि आखिर एक ही मामले में अलग-अलग स्तर से दोहरी जांच क्यों कराई गई और यह किन परिस्थितियों में हुआ.
बिना साक्ष्य कार्रवाई की तैयारी, अवर सचिव ने जताई आपत्ति
सबसे अहम यह है कि विभाग ने दोनों सहायक वन संरक्षकों पर बिना ठोस साक्ष्य व गवाहों, वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना और भ्रामक रिपोर्ट देने का आरोप लगाते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने की सिफारिश कर दी. अवर सचिव ने इस पर भी कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि आरोप-पत्र, साक्ष्य और गवाहों की सूची सहित पूरी रिपोर्ट अब तक उपलब्ध नहीं कराई गई है.
पांच महीने तक रिपोर्ट दबाने का आरोप
विवाद केवल कार्रवाई की प्रक्रिया तक सीमित नहीं है. सहायक वन संरक्षकों का आरोप है कि जांच कमिटी ने पांच महीने पहले ही रिपोर्ट समर्पित कर दी थी, लेकिन विभाग ने उसे दबाए रखा.
आरोप यह भी है कि जिस अफसर के खिलाफ शिकायत थी, उसी ने मामले की समीक्षा की और स्पष्टीकरण भी मांगा. इस पर भी विभाग चुप्पी साधे हुए है. सहायक वन संरक्षकों ने आरोप लगाया है कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण में दाखिल हलफनामे में भी तथ्यों को छुपाया गया है, जो विभाग को कानूनी मुश्किल में डाल सकता है.
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